केले फसल की जलवायु लिखिये
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केले की खेती करने के लिए जून माह के अंतिम सप्ताह से 15 जुलाई तक के बीच का समय सबसे उपयुक्त होता है। रोपण विलंब से करने पर पौधों के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जाड़े के मौसम में पौधों का विकास मंद गति से होता है, जिसके कारण पैदावार भी प्रभावित होता है। समतल खेतों में चार-पांच बार गहरी जुताई करने के बाद कतार से पौधा लगाने के लिए वर्गाकार रीति से डेढ़ वर्ग मीटर की दूरी पर 50 सेमी. चौड़ा गहरा गड्ढा लेना चाहिए। यह कार्य मई माह समाप्त होते-होते कर लेना चाहिए। इसके बाद प्रत्येक गड्ढे में 15-20 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट, 50 ग्राम बीएचसी धूल, 10 से 15 ग्राम कार्बाफ्यूरान, 50 ग्राम फास्फोरस (300 ग्राम ¨सगल सुपर फास्टफेट) तथा उर्वरा मिट्टी मिलाकर भर देना चाहिए। यह कार्य 10 जून तक अवश्य कर लेनी चाहिए। केले के पौधों का प्रसारण पुत्तियों द्वारा होता है। तीन माह आयु की तलवारनुमा स्वस्थ खो मुक्त पुत्तियों मका ही रोपण किया जाना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि केला भूमि से बहुत अधिक पोषण तत्व खींचता है। इसके लिए प्रति पौधा 200 ग्राम नत्रजन, 100 ग्राम फास्फोरस, 240 ग्राम पोटाश की आवश्यकता पड़ती है। फास्फोरस क आधी मात्रा रोपाई के पूर्व ही दे दी जाती है। इसके बाद आश्यकतानुसार समय-समय पर खाद देना चाहिए।