(क) मौलिक सृजन से आप क्या समझते हैं?
(ख) गगन के बराबर ऊँचा उठने के लिए आपको क्या करना होगा?
(ग) दी गई संकेत पंक्तियों का सप्रसंग भावार्थ लिखिए- संकेत- इतने ऊँचे उठो कि जितना मलय पवन है।। (पेज-3)
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(क) मूल रूप से रची गई रचना मौलिक होती है। इस तरह की संसार में दूसरी रचना नहीं होती। सृजन का अर्थ है उत्पत्ति या बनाना। मौलिक वस्तु का भी सृजन करना पड़ता है तभी वह मौलिक बनती है।
(ख) (1) आपको पुरी मेहनत और लगन से काम करना|
(2) अगर आप विद्यारथी है तो पढाई लिखाई पुरी मेहनत और लगन से काम करे|
(3) गगन कि तरह ऊं चा उठने के लिए सिरफ हमे पैसो की नही मेहनत की जरुरत है|
(ग) कविता 'इतने ऊँचे उठो' का सप्रसंग भावार्थ इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है। इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥ ... अर्थ: प्रस्तुत पद्य पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमें नए समाज निर्माण में अपनी नई सोच को जाति, धर्म, रंग-द्वेष आदि जैसे भेदभावों से ऊपर उठकर सभी को समानता की दृष्टि से देखना चाहिये।
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