के मधुर परिवेश, गोपिकाओं के हाव-भाव, गोप-बालकों के
बत्रण किया है। बच्चों की निश्छल भाव-भंगिमाओं का जैस
द्वान लोग मानते हैं कि सूरदास जन्मांध नहीं थे।
नके अतिरिक्त श्रृंगार के दोनों पक्षों - संयोग और वियोग
भी महत्वपूर्ण हैं। उनकी काव्य-भाषा ब्रज है, जिसमें उपमा
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सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे। ... हैं। सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं, इस सम्बम्ध में विद्वानों में मतभेद है। ... मणिपाला', श्री हरिराय कृत "भाव-प्रकाश", श्री गोकुलनाथ की "निजवार्ता' आदि ग्रन्थों के आधार पर, जन्म के अन्धे माने गए हैं। ... इनमें सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो के अतिरिक्त दशमस्कंध टीका, नागलीला, भागवत्, गोवर्धन लीला, ... सूर ने भक्ति के साथ श्रृंगार को जोड़कर उसके संयोग-वियोग पक्षों का जैसा वर्णन किया है, वैसा अन्यत्र दुर्लभ है।
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