किन्ही पाँच महापुरुषों के चित्र एकत्र करके जीवन और कर्म प्रति उनके विचार लिखिए ।
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- ब्रह्माज्ञानी को स्वर्ग तृण है, शूर को जीवन तृण है, जिसने इंद्रियों को वश में किया उसको स्त्री तृण-तुल्य जान पड़ती है, निस्पृह को जगत तृण है
-चाणक्य
- सबसे उत्तम तीर्थ अपना मन है जो विशेष रूप से शुद्ध किया हुआ हो
-स्वामी शंकराचार्य
- कर्म, ज्ञान और भक्ति का संगम ही जीवन का तीर्थ राज है |
-दीनानाथ दिनेश
- तपस्या धर्म का पहला और आखिरी कदम है |
- -महात्मा गांधी
- अपनी पीड़ा सह लेना और दूसरे जीवों को पीड़ा न पहुंचाना, यही तपस्या का स्वरूप है|
-संत तिरुवल्लुवर
- मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता |
- - चाणक्य
Bhai Maine vichar to likh diye ...magar photo nhi daal skta....kripya aap Google se wo le lene ka kripya Kare.....
ar hmare mehnat ka aashirwad brainliest answer mark Kar ke aashirwad de....(◍•ᴗ•◍)❤
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♥-कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है । ... व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी ...
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