Hindi, asked by MannyaMalhotra19, 10 months ago

किन्हीं दो प्राकृतिक वस्तुओं के संदेश को कविता के रूप में लिखीए।​

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Answered by ACCIDENTALEXPERT
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Answer:

Explanation:

संध्या / सुमित्रानंदन पंत

कहो, तुम रूपसि कौन?

व्योम से उतर रही चुपचाप

छिपी निज छाया-छबि में आप,

सुनहला फैला केश-कलाप,

मधुर, मंथर, मृदु, मौन!

मूँद अधरों में मधुपालाप,

पलक में निमिष, पदों में चाप,

भाव-संकुल, बंकिम, भ्रू-चाप,

मौन, केवल तुम मौन!

ग्रीव तिर्यक, चम्पक-द्युति गात,

नयन मुकुलित, नत मुख-जलजात,

देह छबि-छाया में दिन-रात,

कहाँ रहती तुम कौन?

अनिल पुलकित स्वर्णांचल लोल,

मधुर नूपुर-ध्वनि खग-कुल-रोल,

सीप-से जलदों के पर खोल,

उड़ रही नभ में मौन!

लाज से अरुण-अरुण सुकपोल,

मदिर अधरों की सुरा अमोल,--

बने पावस-घन स्वर्ण-हिंदोल,

कहो, एकाकिनि, कौन?

मधुर, मंथर तुम मौन?

फूल / महादेवी वर्मा

मधुरिमा के, मधु के अवतार

सुधा से, सुषमा से, छविमान,

आंसुओं में सहमे अभिराम

तारकों से हे मूक अजान!

सीख कर मुस्काने की बान

कहां आऎ हो कोमल प्राण!

स्निग्ध रजनी से लेकर हास

रूप से भर कर सारे अंग,

नये पल्लव का घूंघट डाल

अछूता ले अपना मकरंद,

ढूढं पाया कैसे यह देश?

स्वर्ग के हे मोहक संदेश!

रजत किरणों से नैन पखार

अनोखा ले सौरभ का भार,

छ्लकता लेकर मधु का कोष

चले आऎ एकाकी पार;

कहो क्या आऎ हो पथ भूल?

मंजु छोटे मुस्काते फूल!

उषा के छू आरक्त कपोल

किलक पडता तेरा उन्माद,

देख तारों के बुझते प्राण

न जाने क्या आ जाता याद?

हेरती है सौरभ की हाट

कहो किस निर्मोही की बाट?

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