Science, asked by Anujvzgdyfhdhxj8534, 11 months ago

किन्हीं दो दार्शनिकों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर शारीरिक शिक्षा के महत्त्व को बताइये।

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Answered by mithran9115
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Answer:

ुहगक् रूह में है उसकी धड़कन देता हूँ पेट भरते के साथ चले तो बुरी के बाद भी ईमानदार के साथ चले तो बुरी के बाद भी ईमानदार के साथ चले तो बुरी के बाद भी ईमानदार के साथ चले तो बुरी के बाद भी ईमानदार के साथ चले तो बुरी के बाद भी ईमानदार के सात.

Answered by bhatiamona
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किन्ही दो दार्शनिकों द्वारा की गई परिभाषाओं के आधार पर शारीरिक शिक्षा का महत्व —  

वर्तमान आधुनिक संसार में सेहत के बारे में अनेक भ्रांतियां और संकट हैं। हमारे जीवन में हर क्षेत्र में हर चीज का मशीनीकरण हो चुका है और हम मशीनों पर निर्भर हो गए हैं। जिससे हमारे शरीर की गतिविधियां कम हो गई है। यदि हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखना है तो हमें अपने शरीर के लिए शारीरिक शिक्षा की शरण में आना ही पड़ेगा। शारीरिक शिक्षा के महत्व पर अनेक विद्वान और दार्शनिकों ने बल दिया है।

इनमें से दो दार्शनिकों के विचार इस प्रकार हैं....

स्वामी विवेकानंद के अनुसार — शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए नितांत आवश्यक है। इसके लिए व्यायाम शालाओं एवं खेल मैदानों का होना अति आवश्यक है।

एक अन्य विद्वार फोबेल के अनुसार — यदि हम मनुष्य का संपूर्ण विकास चाहते हैं तो हमें उस के सभी अंगों की कसरत कराना अनिवार्य है।

उपरोक्त कथनों के आधार पर हम कह सकते हैं कि शारीरिक शिक्षा के अभाव में और उचित गतिविधि के अभाव में शरीर क्रियाशील नहीं रह सकता और बीमारियों का घर बन सकता है। स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है कि हम शारीरिक शिक्षा ले और अपने शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के नए-नए उपाय सीखें।

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