कान्हड़ देव चौहान कहाँ का शासक था?
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Ranthompore
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कान्हड़ देव चौहान जालौर का शासक था।
एक वीर राजपूत योद्धा था। जब अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर पर आक्रमण कर दिया और उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई, तो उसने षड्यंत्र रचा और कुछ विश्वासघाती लोगों के मदद से जालौर के प्रवेश द्वार शिवाड़ा के दुर्ग को जीत लिया। इस पर जालौर के शासक कान्हड़देव ने सभी राजपूत राजाओं का आह्वान कर एकजुट किया और राजपूत राजाओं ने एकजुट होकर अलाउद्दीन खिलजी पर आक्रमण करने शुरू कर दिए। तब अलाउद्दीन खिलजी अपनी और ज्यादा विशाल सेना लेकर जालौर पर आत्मा करने के लिए आ गया। कान्हण देव ने अपनी पूरी ताकत से शत्रु का मुकाबला किया, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी ने पूरे दुर्ग को चारों तरफ से घेर लिया था। इस कारण का कान्हणदेव और उनकी सेना के पास रसद सामग्री खत्म होने लगी और वह लोग धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगे।
उसी समय कान्हड़ के एक सरदार ने विश्वासघात किया और अलाउद्दीन खिलजी के साथ मिल गया। जिसके बाद अलाउद्दीन खिलजी चुपचाप एक गुप्त दरवाजे से किले में प्रवेश कर गया। कान्हड़देव ने वीरता के साथ मुकाबला किया। लेकिन अंत में वीरगति को प्राप्त हुआ और जालौर पर अलाउद्दीन खिलजी ने कब्जे में कब्जा कर लिया।