किन कारणों से बच्चे वीडियो से डरने लगे और वह भीख मांगने लगी
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अक्सर आपने बच्चों को भीख मांगते देखा होगा। कभी आप उन्हें कुछ दे भी देते होंगे, तो कभी डांटकर आगे बढ़ जाते होंगे। पर क्या कभी आपने यह सोचा है कि इन बच्चों की दुनिया कैसी है? इनके सपने क्या हैं?
क्या ये भी अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की तरह स्कूल जाना चाहते हैं? ये अपनी मर्जी से भीख मांगते हैं या इनसे जबरदस्ती भीख मंगवायी जाती है? भीख में मिले पैसों का ये क्या करते हैं? क्या कभी इन्होंने भीख मांगना छोड़कर कुछ और करने बारे में सोचा है? बड़े होकर ये क्या करेंगे?
कुछ साल पहले मैंने बाल भिखारियों पर एक बड़ी स्टोरी की थी। उसकी रिसर्च के लिए मैंने उनके साथ कई दिन बिताये। शुरू में उन्हें मुझपर काफी शंका थी। डरे हुए भी थे… उन्हें लगा कि मैं पुलिस वाला या पुलिस का मुखबिर हूं या फिर किसी दूसरे इलाके का ‘दादा’, जो उन्हें बहकाकर या पटाकर अपने इलाके में ले जाना चाहता है।बहरहाल, उनसे मुझे बहुत सनसनीखेज जानकारियां मिली थीं। कुछ बच्चे चुराये हुए थे (उनका ऐसा ब्रेन वॉश किया जा चुका था कि उन्हें अपने घर या परिवार के बारे में याद तक नहीं था या वे जान-बूझकर बताना नहीं चाहते थे), कुछ घर से भागकर आये थे, कुछ अपने घर की गरीबी या पिता की शराबखोरी की वजह से भीख मांगने को मजबूर थे।
एक बात सबमें समान थी कि वे भिखारी माफिया, जिसे वे ‘दादा’ कहते थे, से बहुत डरते थे। भीख मांगने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं था। मैंने एक एनजीओ की मदद से कुछ बाल भिखारियों को पढा़ने या किसी वोकेशनल कोर्स में दाखिल करवाने की कोशिश की, तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिये। कहा कि यह असंभव काम है, बाल भिखारियों को छोड़कर और किसी का भी पुनर्वसन किया जा सकता है!
उसके बाद हर साल बाल भिखारियों की तादाद बढ़ती गई और इस बारे में कोई भी कुछ नहीं कर पाया। हाल में हॉलैंड से मेरे एक डच मित्र भारत घूमने आये। वह एक सप्ताह मुम्बई में रहे। जगह-जगह बाल भिखारियों को देखकर उन्होंने कहा कि आपकी सरकार बेहद गैर-जिम्मेदार और नागरिक असंवेदनशील हैं। अन्यथा देश के सबसे बड़े महानगर मुम्बई में इतने बाल भिखारी होने नहीं चाहिए।
मुझे उनकी बात एकदम सही लगी।
भारत के संविधान में भीख मांगने को अपराध कहा गया है। फिर देश की सड़कों पर एक करोड़ बच्चे भीख आखिर कैसे मांगते हैं? बच्चों का भीख मांगना केवल अपराध ही नहीं है, बल्कि देश की सामाजिक सुरक्षा के लिए खतरा भी है। हर साल कितने ही बच्चों को भीख मांगने के ‘धंधे’ में जबरन धकेला जाता है। ऐसे बच्चों के आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की काफी आशंका होती है।
बहुत से बच्चे मां-बाप से बिछड़कर या अगवा होकर बाल भिखारियों के चंगुल में पड़ जाते हैं। फिर उनका अपने परिवार से मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है। पुलिस रेकॉर्ड के अनुसार, हर साल 44 हजार बच्चे गायब होते हैं। उनमें से एक चौथाई कभी नहीं मिलते। कुछ बच्चे किसी न किसी वजह से घर से भाग जाते हैं। कुछ को किसी न किसी वजह से उनके परिजन त्याग देते हैं। ऐसे कुल बच्चों की सही संख्या किसी को नहीं मालूम!