किन कारणों से विश्व के देशों का संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन की आवश्यकता महसूस हुई
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संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना
संयुक्त राष्ट्र संघ अपने समय की अद्वितीय संस्था हैं, इसकी सदस्यता सार्वभौमिक है। 24 अक्टूबर सन् 1945 का दिन विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना का दिन माना जायेगा क्योंकि इसी दिन संयुक्त राष्ट्र संघ नामक विश्व संस्था की स्थापना की गयी थी। प्रारंभ में केवल 51 राष्ट्र ही इसके सदस्य देशों परन्तु वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 192 हो गयी हैं। इसका मुख्यालय न्यूर्याक में हैं। वर्तमान में इसका नाम ‘संयुक्त राष्ट्र हैं।’ संघ शब्द को महासभा द्वारा अपने एक प्रस्ताव के तहत नाम से हटा दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के कारण
शांति एवं सुरक्षा- द्वितीय विश्व युद्ध सन् 1939 से 1945 तक चला इस दौरान होने वाले विध् वंसों से तथा इसके पूर्व प्रथम विश्व युद्ध के विनाश से दुनिया के देश तंग आ चुके थे। अत: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही ऐसा प्रयास किये जाने लगे थे कि भविष्य में इस प्रकार के युद्धों को रोकने एवं शांति सुरक्षा बनाये रखने की दिशा में कोई सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए।
द्वितीय विश्व युद्ध मे होने वाला विध्वंस- द्वितीय विश्व युद्ध में करोड़ों लोग मारे गये थें, अरबों की सपंत्ति नष्ट हो गई थी। देशों ने अपार धन संपदा हथियारों के निर्माण पर खर्च की थी। लोग यह सोचने पर मजबूर हो गये कि इसी शक्ति आरै धन को यदि रचनात्मक कार्यो पर खर्च किया जाय, तो एक तरफ विध्वंस को रोका जा सकता है एवं दूसरी तरफ वैज्ञानिक एवं तकनीकि विकास भी किया जा सकता है।
नाभिकीय युद्ध का भय- द्वितीय विश्व यद्धु में जापान के दो नगरों पर परमाणु बम का प्रयोग किया गया, जिसके कारण हुए विनाश को पूरी दुनिया ने देखा और यह महसूस किया कि यदि भविष्य में मानवता की रक्षा करनी है तो नाभिकीय युद्ध को रोकना होगा ।
राष्ट्र संघ की असफलता- राष्ट्र संघ अपनी अंतर्निहित कमजोरियों के कारण द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में असफल रहा। अत: यह आवश्यकता महसूस की गई की पुरानी गल्तियों को सुधारते हुयें भविष्य में युद्धों को रोकने हेतु सामूहिक प्रयास किया जाना चाहियें।
सामाजिक एवं आर्थिक विकास का उद्देश्य- विकसित एवं औद्योगीकृत देशों ने उपनिवेशों का लंबे समय से शोषण किया था, अत: इन उपनिवेशों के लोगो की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को सुधारने हेतु अंतराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता थी। इस उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ एक श्रेष्ठ मंच का कार्य कर सकता था।
साामूहिक सुरक्षाा की भावना- संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से छोटे एवं नवोदित राष्ट्रों को सुरक्षा उपलब्ध कराकर, उन्हे बडे़ राष्ट्रों के आक्रमणों एवं अत्याचारों से बचाया जा सकता था।
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य
मानव जाति की सन्तति को यद्धु की विभीषिका से बचाने के लिए अंतराष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा को स्थायी रूप प्रदान करना और इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु शान्ति-विरोधी तत्वों को दण्डित करना।
समान अधिकार तथा आत्म-निर्णय के सिंद्धांतो को मान्यता देते हुए इन सिद्धांतो को आधार पर के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों के मध्य संबंधो एवं सहयागे में वृिद्ध करने के लिए उचित उपाय करना।
विश्व की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आदि मानवीय समस्याओं के समाधान हेतु अंतराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना।
शान्ति पूर्ण उपायों से अन्तराष्ट्रीय विवादों को सुलझाना ।
इस सामान्य उदे्श्यों की पूर्ति में लगें हएु विभिन्न राष्ट्रों के कार्यो में समन्वयकारी केन्द्र के रूप में कार्य करना ।
संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धांत
संघ के सभी सदस्य- राष्ट्र प्रभुत्व सम्पन्न और समान हैं।
संघ के सभी सदस्य- राष्ट्र, संघ के घोषणा-पत्र में वर्णित अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वाह निष्ठापूर्वक और पूरी ईमानदारी से करेंगें।
संघ के सभी सदस्य- राष्ट्र, अंतराष्ट्रीय संबन्धो के संचानल में किसी राज्य की अखण्डता तथा राजनीतिक स्वतन्त्रता के विरूद्ध धमकी अथवा शक्ति का प्रयोग नही करेंगं।
संघ के सभी सदस्य- राष्ट्र अंतराष्टर््रीय विवाद का समाधान शान्तिपूर्ण उपायों से करेंगे, जिससे विश्व-शान्ति, सुरक्षा एवं न्याय की रक्षा हो सके।
संघ के सभी सदस्य- राष्ट्र, संघ के घोषणा-पत्र में वर्णित संघ के सभी कार्यो में संघ को सहायता प्रदान करेगें तथा वे किसी भी एसे राज्यों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करेंगें, जिसके विरूद्ध संघ द्वारा कोई कार्यवाही की जा रही हो।
संघ उन राष्ट्रों से भी, जो संघ के सदस्य नहीं हैं, घोषणा-पत्र में वर्णित अंतराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा वाले सिद्धांतों का पालन कराने प्रयास करेगा।
संघ किसी सदस्य- राष्ट्र के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग
1. महासभा (साधारण सभा) 2. सुरक्षा परिषद 3. आर्थिक व सामाजीक परिषद 4. संरक्षण या न्यास परिषद 5. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय 6. सचिवालय