(क) निम्िललखखत श्रुनत समलभन्िाथकय शब्र्दों के अथय ललखखए -
(i) समान (ii) सम्मान
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तल प्रतो प्रशाया है और मुलायम सिंह ने की थी दुआ मसजि प्रतक है तो उसे कोई देख रहे हो पण्डित नहीं कह रहे हो पण्डित नहीं कह रहे हो पण्डित नहीं कह रहे हो और तुम सबसे बड़ी चाहत थी वो फिर नहीं आते है की थूक है कि सुश्री सही बात का भरोसा के बाद अब वीरभद्र
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