क. निम्नलिखित गदयांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दो.
भारत में अपनी भाषा की दुर्दशा के लिए सबसे पहले तो हमारा भाषाई दृष्टिकोण
जिम्मेदार है, जिसके तहत हमने अंग्रेजी को एक संभात वर्ग की भाषा बना रखा है। हम
अंग्रेजी के प्रति दुर्भावना ना रखें पर अपनी राष्ट्रभाषा को उचित सम्मान तो दे, जिसकी
वह हकदार है। यह ज्वाहर लाल नेहरू जी ने 40 साल पहले यही बात कही थी, "मैं
अंग्रेजी का इसलिए विरोधी है क्योंकि अंग्रेजी जाने वाला व्यक्ति अपने को दूसरों से बड,
समझने लगता है और उसकी दूसरी क्लास से बन जाती है यही इलीट क्लास होती है।"
बहुत से परिवारों में बच्चे अपने मां बाप से अंग्रेजी में बात करते हैं और नौकर या
आया से हिंदी में, क्योंकि उन्हें यह लगता है कि यह उसी कामगार तबके की भाषा है।
इसका एक दूसरा अहम कारण यह भी है कि बच्चों को नर्सरी स्कूल में भेजने से पहले
भी यह जरूरी हो जाता है इंटरव्यू में पूछे गए अंग्रेजी प्रश्नों का ये सही उत्तर दे सके
एकाद नर्सरी राइम सुना सके । माता पिता उन्हें इंटरव्यू के लिए तैयार करने में अपनी
सारी ऊर्जा खपा डालते हैं।
पठन-पाठन की शुरुआत में ही हिंदी के दृष्टिकोण से जो गलत नींव रखी जाती हैं
वह हर राज्य के अलग अलग पाठ्यक्रमों में एम.ए.,पी.एच.डी. तक चलता है। सन
1968 से जब से मैंने कोलकाता के एक हिंदी भाषी कॉलेज में पढ़ना शुरू किया जहां
अधिकांश छात्राएं बंगाली थी, लगातार इस बात को महसूस किया, हमारा पाठ्यक्रम समय
के साथ चलने में बिल्कुल और असमर्थ है। इन 30-40 सालों में लगातार इस बारे में
बोलती लिखती आ रही है पर कहीं कोई बदलाव के आसार दिखाई नहीं देते। हिंदी भाषा
को अगर जिंदा रखना है तो पहली कक्षा की नर्सरी राइम से लेकर एम.ए. के पाठ्यक्रम
तक में पूरी तरह सफाई की जरूरत है।
प्रश्नः
1. हिंदी भाषा की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है और क्यों ?
2. हमें अपनी भाषा तथा अंग्रेजी के प्रति कैसा व्यवहार रखना चाहिए?
3. पंडित नेहरू ने यह क्यों कहा था कि मैं अंग्रेजी का विरोधी है?
4. बहुत से परिवारों में बच्चे अपने माता-पिता से अंग्रेजी में और नौकर से नि
क्यों करते हैं।
5. हमारे पाठ्यक्रम किस प्रकार के हैं?
6. उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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Answers
Answer:
पाठन की शुरुआत में ही हिंदी के दृष्टिकोण से जो गलत नींव रखी जाती हैं
वह हर राज्य के अलग अलग पाठ्यक्रमों में एम.ए.,पी.एच.डी. तक चलता है। सन
1968 से जब से मैंने कोलकाता के एक हिंदी भाषी कॉलेज में पढ़ना शुरू किया जहां
अधिकांश छात्राएं बंगाली थी, लगातार इस बात को महसूस किया, हमारा पाठ्यक्रम समय
के साथ चलने में बिल्कुल और असमर्थ है। इन 30-40 सालों में लगातार इस बारे में
बोलती लिखती आ रही है पर कहीं कोई बदलाव के आसार दिखाई नहीं देते। हिंदी भाषा
को अगर जिंदा रखना है तो पहली कक्षा की नर्सरी राइम से लेकर एम.ए. के पाठ्यक्रम
तक में पूरी तरह सफाई की जरूरत है।
प्रश्नः
1. हिंदी भाषा की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है और क्यों ?
2. हमें अपनी भाषा तथा अंग्रेजी के प्रति कैसा व्यवहार रखना चाहिए?
3. पंडित नेहरू ने यह क्यों कहा था कि मैं अंग्रेजी का विरोधी है?
4. बहुत से परिवारों में बच्चे अपने माता-पिता से अंग्रेजी में और नौकर से नि
क्यों करते हैं।
5. हमारे पाठ्यक्रम किस प्रकार के हैं?
6. उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए
Explanation:
पाठन की शुरुआत में ही हिंदी के दृष्टिकोण से जो गलत नींव रखी जाती हैं
वह हर राज्य के अलग अलग पाठ्यक्रमों में एम.ए.,पी.एच.डी. तक चलता है। सन
1968 से जब से मैंने कोलकाता के एक हिंदी भाषी कॉलेज में पढ़ना शुरू किया जहां
अधिकांश छात्राएं बंगाली थी, लगातार इस बात को महसूस किया, हमारा पाठ्यक्रम समय
के साथ चलने में बिल्कुल और असमर्थ है। इन 30-40 सालों में लगातार इस बारे में
बोलती लिखती आ रही है पर कहीं कोई बदलाव के आसार दिखाई नहीं देते। हिंदी भाषा
को अगर जिंदा रखना है तो पहली कक्षा की नर्सरी राइम से लेकर एम.ए. के पाठ्यक्रम
तक में पूरी तरह सफाई की जरूरत है।
प्रश्नः
1. हिंदी भाषा की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है और क्यों ?
2. हमें अपनी भाषा तथा अंग्रेजी के प्रति कैसा व्यवहार रखना चाहिए?
3. पंडित नेहरू ने यह क्यों कहा था कि मैं अंग्रेजी का विरोधी है?
4. बहुत से परिवारों में बच्चे अपने माता-पिता से अंग्रेजी में और नौकर से नि
क्यों करते हैं।
5. हमारे पाठ्यक्रम किस प्रकार के हैं?
6. उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए hjm