(क) नहा रहे हो क्या? - इस वाक्य का भाववाच्य में रूपांतरण होगा?
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RBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य
May 15, 2019 by Fazal Leave a Comment
Rajasthan Board RBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य
क्रिया के उस रूपान्तरण को वाच्य कहा जाता है जिसके द्वारा यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा भाव में से किसकी प्रधानता है अर्थात् किस के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन तथा लिंग निर्धारित हुए हैं। वाच्य के प्रकार-वाच्य के प्रकार अथवा भेद तीन होते हैं-
(1) कर्तृवाच्य,
(2) कर्मवाच्य,
(3) भाववाच्य ।
कर्तृवाच्य
कर्तृवाच्य का अर्थ होता है, क्रिया का कर्ता के अनुसार रूप बदलना। कर्तृवाच्य वाक्य में क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार होता है। जैसे
(क) पुरुष टहलता है। स्त्री टहलती है।
(ख) पुरुष टहलते हैं। स्त्रियाँ टहलती हैं।
(ग) पाठ पढ़ा जाता है। पाठ पढ़े जाते हैं।
(घ) कहानी सुनी गई। कहानियाँ सुनी गईं।
(ङ) तू आया। तुम सब आए।
उपर्युक्त वाक्यों में कर्ता के लिंग, वचन, तथा पुरुष का क्रियाओं पर प्रभाव पड़ा है। कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अधीन होती है, उसका स्वरूप कर्ता से भिन्न नहीं हो सकता, जैसे
(क) लड़के खेला।
(ख) हरिण भागी।।
ये वाक्य अशुद्ध हैं क्योंकि क्रियाएँ कर्ता के लिंग का अनुकरण नहीं कर रही हैं।
कर्तृवाच्य के अन्य उदाहरण
(क) प्रवेश और सुनयना विद्यालय गए।
(ख) बाघ ने हरिण को दबोच लिया।
(ग) अनेक व्यक्ति यहाँ आ रहे हैं।
(घ) पहाड़ियाँ दूर-दूर तक फैली हुई हैं।
(ङ) सभी गाड़ियाँ देर से आ रही हैं।
(च) बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।
(छ) स्त्रियाँ गाएँगी, पुरुष नाचेंगे और बच्चे हँसेंगे।
(ज) सावन आएगा तो बादल बरसेंगे।
RBSE Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य
कर्मवाच्य
कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अनुसार रूप बदलती है। क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुरूप होते हैं। जैसे
(क) लड़के ने फल खाया।
(ख) लड़की ने खीर खायी।
(ग) विद्वान ने उपदेश दिया।
(घ) माँ ने कहानियाँ सुनाईं।
(ङ) उसका दुख देखा नहीं जाता।
(च) मुझसे दवा पी नहीं जाती।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हैं। कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अधीन रहती है, वह कर्म से भिन्न रूप ग्रहण नहीं कर सकती, जैसे
(क) प्रकाश ने पुस्तक पढ़ा।
(ख) भेड़िये ने बकरियाँ मार डाले।
(ग) मुझ से पत्र लिखी नहीं गई।
(घ) सुरूपा से पतीली छुआ नहीं गया।
कर्मवाच्य के अन्य उदाहरण –
(क) इंग्लैण्ड ने पाँच मेच खेले ।
(ख) मनुष्य ने सभ्यता का विकास किया।
(ग) कृष्ण ने उपदेश दिया।
(घ) बालिकाओं ने समूह-नृत्य किया।
(ङ). शिवानी द्वारा पत्र लिखा जाता है।
(च) छात्रों द्वारा अध्ययन किया जाता है।
(छ) दयानन्द जी ने अंध-विश्वास मिटाए।
(ज) प्रधानमंत्री द्वारा विकास किया जाएगा।
विशेष –
(1) कर्मवाच्य में ‘को’ तथा ‘से’ का प्रयोग।
(क) युवाओं को आगे बढ़ना है।
(ख) लड़की से पाठ पढ़ा नहीं जाता।
इस वाक्यों में ‘को’ तथा ‘से’ विभक्तियों का प्रयोग कर्म कारक तथा करण कारक की भाँति नहीं हुआ है। इन वाक्यों में ‘को’ तथा ‘से’ कर्ता कारक की विभक्तियों की भाँति प्रयुक्त हुए हैं।
कर्ता के साथ ‘को’ विभक्ति का प्रयोग तब होता है जब आवश्यकता या अनिवार्यता दिखाई जाती है। कर्ता के साथ ‘से’ विभक्ति तब प्रयुक्त होती है जब क्रिया से कर्ता की असमर्थता बताई जाती है।
भाववाच्य
जब क्रिया कर्ता या कर्म के अनुसार न होकर अपने भाव रूप अथवा मूल रूप में आती है, तो उसे भाववाच्य कहा जाता है। भाववाच्य की क्रियाएँ सदा ‘एकवचन पुंल्लिंग’ रहती हैं। वे कर्ता या कर्म के अनुसार रूप नहीं बदलती।
कुछ उदाहरण
(क) वृद्ध व्यक्ति से चला नहीं जाता।
(ख) उर्मिला से नाचा नहीं जाता।
(ग) नदी स्वच्छ की गई।
(घ) फिल्म को देखा जाना चाहिए।
(ङ) उसे झुकना पड़ा।
(च) आखिर पकड़ा ही गया चोर।
(छ) अहंकारी को झुकना होगा।
विशेष- (i) भाववाच्य के प्रयोग के विविध प्रकार
(1) अशक्ति या लाचारी का भाव व्यक्त करने के लिए जिसमें ‘नहीं’ का प्रयोग आवश्यक है। ऐसा प्रयोग नकारात्मक (नहीं युक्त) वाक्यों में ही होता है, जैसे(क) बच्चे से हँसा नहीं जाता।
(ख) छात्राओं से गाया नहीं जाता।
(2) इसी प्रकार नहीं बनता’ का भी प्रयोग होता है, जैसे
(क) मुझसे कहते नहीं बनता।
(ख) रवि से लिखते नहीं बनता।
(3) सहायक क्रिया जाना’ का प्रयोग
(क) उद्यान लगाया गया।
(ख) पहाड़ काटे गए।
(4) बाध्यता का कर्तव्य बोध के लिए प्रयोग
(क) तुम सब को जाना है।
(ख) मुझे पढ़ना पड़ रहा था।
(ग) जितना हो व्यायाम करना चाहिए।