काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै॥
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै॥
ANSWER THE FOLLOWING:
( क ) गोपी श्रीकृष्ण का रूप बनाने के लिए क्या क्या करने को तैयार है ?
( ख ) गोपी कृष्ण की मुरली होठों पर क्यों नहीं रखना चाहती ?
( ग ) सवैया से गोपी के किस मनोभाव का पता चलता है ?
Answers
(क) गोपी श्रीकृष्ण का रूप बनाने के लिए क्या क्या करने को तैयार है ?
उत्तर ► गोपियां कृष्ण का रूप बनाने के लिए सिर पर मोरपंख लगाकर, रंग बिरंगे फूलों की माला पहनकर और पीले वस्त्र पहनने तक को तैयार हैं। वह लाठी लिए कर ग्वाल-वालों के साथ गाय चराने तक को तैयार हैं।
(ख) गोपी कृष्ण की मुरली होठों पर क्यों नहीं रखना चाहती ?
उत्तर ► गोपियां कृष्ण की मुरली होठों पर इसलिए नहीं रखना चाहती क्योंकि वह मुरली से ईर्ष्या का भाव रखती हैं और उसे अपनी सौतन के समान मानती हैं। क्योंकि कृष्ण अपनी मुरली की तान में व्यस्त रह कर गोपियों की उपेक्षा कर देते हैं, इसलिए गोपियां कृष्ण की मुरली को अपने होठों पर नहीं रखना चाहती हैं।
(ग) सवैया से गोपी के किस मनोभाव का पता चलता है ?
उत्तर ► इन सवैया से गोपियों के प्रेमभाव का पता चलता है कि वह कृष्ण से अगाध प्रेम करती हैं और कृष्ण के प्रति प्रेम में सब कुछ करने के लिए तैयार हैं।
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कवि ‘रसखान’ से संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी।
ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी।।
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।
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काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:- या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं॥रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं॥
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Explanation:
lavya bansal your baap ,,