History, asked by devrajjaswal67125, 7 months ago

कापढ़कर सामने दिए प्रश्नों के उत्तर
जिस पर गिरकर उदर-दरी से तुमने जन्म लिया है
जिसका खाकर अन्न, सुधा-सम नीर-समीर पिया है।
वह स्नेह की मूर्ति दयामयी माता-तुल्य मही है
उसके प्रति कर्तव्य तुम्हारा क्या कुछ शेष नहीं है?
पैदाकर जिस देश-जाति ने तुमको पाला-पोसा।
किए हए है वह निज हित का तुमसे बड़ा भरोसा
उससे होना उण प्रथम है सत्कर्तव्य तुम्हारा
फिर दे सकते हो वसुधा को शेष स्वजीवन सारा​

Answers

Answered by mittalaayush308
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Answer:

नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 1 = 5)

मानव तथा समाज में परस्पर घनिष्ठ संबंध है। मनुष्य अपनी व्यक्तिगत उन्नति करते हुए भी सामाजिक संबंध के लिए सदा व्याकल रहता है। समाज एक परिवर्तनशील इकाई है। यग परिवर्तन के साथ समाज अपना स्वरूप बदलता रहता है। आधुनिक युग में समाज गाँव या नगर तक सीमित नहीं रहा।

आज उसका क्षेत्र देश के कोने-कोने तक विस्तीर्ण हो गया है। इसी कारण प्रभात होते ही मनुष्य अपने इस विस्तृत समाज का ज्ञान प्राप्त करने के लिए बेचैन रहता है। इसकी जानकारी प्राप्त करने का सरल, सुलभ और सस्ता साधन है- समाचार-पत्र। समाचार-पत्रों के इतिहास से यही स्पष्ट होता है कि इसका जन्म सातवीं शताब्दी में चीन में हुआ था, पर इसका प्रारंभिक रूप इतना विकसित नहीं था। मुद्रण कला के आविष्कार के बाद सन 1609 में जर्मनी से सर्वप्रथम समाचार-पत्र प्रकाशित हुए।

1662 में ब्रिटेन ने भी इस ओर ध्यान दिया और समाचार-पत्रों का प्रकाशन आरंभ किया। भारत में इसका जन्म ब्रिटिश काल में हुआ। सन 1835 में यहाँ से सर्वप्रथम ‘इंडिया गजट’ प्रकाशित हुआ। तत्पश्चात इनकी संख्या बढ़ती गई। हिंदी का प्रथम समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ नाम से प्रकाशित हुआ। समय एवं परिस्थितियों के साथ-साथ इनकी संख्या बढ़ती गई जिससे संख्या में वृद्धि हुई।।

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