Hindi, asked by saranyasingh84, 1 month ago

कृपया करके इस प्रश्न का जवाब दे यह कविता विश्व विजई तिरंगा प्यारा का बनती है प्लीज इसका जवाब दें आपकी कृपा होगी ​

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Answered by Sasmit257
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Answer:

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Explanation:

टीवी पर प्रोसेस फॉर द पर साधनों में चमक विज्ञापनों से गुल में फंसा मांगा था अपने आपको उगा पाता है इस समस्या में उत्पन्न परेशानी करते हुए समाचार मनीम करूया की विसावमा पारक आधार पर बाइक

का फायर कामिल युके स्फू सम्भासी व्य, परंतु पारंपरिक अर्थ में

हम उन्हें संन्यासी क्यों नहीं कह सकत

एक फायर झामिल सुटके की मृमुसे लेखक आहेत कमी पारपत्र के संपादक को पत्र लिखिएटीवी पर प्रसारित सर्वोदय प्रसाधनों के चमक विज्ञानों के चौगुले में फैसला मानव कथा अपने आप को गांव पाता है इस समस्या में उत्पन्न परेशानी करते हुए समाचार पत्र संपादक को पत्र लिखिएlफादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनर जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था और

मानव कथा अपने आप को गांव पाता है इस समस्या में उत्पन्न परेशानी करते हुए समाचार पत्र संपादक को पत्र लिखिएlफादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनर जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था औरउनसे बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे 'परिमल' के वे दिन याद आते हैं, जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसे

मानव कथा अपने आप को गांव पाता है इस समस्या में उत्पन्न परेशानी करते हुए समाचार पत्र संपादक को पत्र लिखिएlफादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनर जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था औरउनसे बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे 'परिमल' के वे दिन याद आते हैं, जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसेथे, जिसके बड़े सदस्य फादर बुल्के थे। हमारे हँसी-मजाक में वह निर्लिप्त शामिल रहते, हमारी गोष्ठियों में वह गंभीर बहस करते,

मानव कथा अपने आप को गांव पाता है इस समस्या में उत्पन्न परेशानी करते हुए समाचार पत्र संपादक को पत्र लिखिएlफादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनर जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था औरउनसे बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे 'परिमल' के वे दिन याद आते हैं, जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसेथे, जिसके बड़े सदस्य फादर बुल्के थे। हमारे हँसी-मजाक में वह निर्लिप्त शामिल रहते, हमारी गोष्ठियों में वह गंभीर बहस करते,हमारी रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते और हमारे घरों के किसी भी उत्सव और संस्कार में वह बड़े भाई और पुरोहित जैसे

मानव कथा अपने आप को गांव पाता है इस समस्या में उत्पन्न परेशानी करते हुए समाचार पत्र संपादक को पत्र लिखिएlफादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनर जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था औरउनसे बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे 'परिमल' के वे दिन याद आते हैं, जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसेथे, जिसके बड़े सदस्य फादर बुल्के थे। हमारे हँसी-मजाक में वह निर्लिप्त शामिल रहते, हमारी गोष्ठियों में वह गंभीर बहस करते,हमारी रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते और हमारे घरों के किसी भी उत्सव और संस्कार में वह बड़े भाई और पुरोहित जैसेखड़े हो हमें अपने आशीषों से भर देते। मुझे अपना बच्चा और फादर का उसके मुख में पहली बार अन्न डालना याद आता है और

मानव कथा अपने आप को गांव पाता है इस समस्या में उत्पन्न परेशानी करते हुए समाचार पत्र संपादक को पत्र लिखिएlफादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनर जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था औरउनसे बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे 'परिमल' के वे दिन याद आते हैं, जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसेथे, जिसके बड़े सदस्य फादर बुल्के थे। हमारे हँसी-मजाक में वह निर्लिप्त शामिल रहते, हमारी गोष्ठियों में वह गंभीर बहस करते,हमारी रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते और हमारे घरों के किसी भी उत्सव और संस्कार में वह बड़े भाई और पुरोहित जैसेखड़े हो हमें अपने आशीषों से भर देते। मुझे अपना बच्चा और फादर का उसके मुख में पहली बार अन्न डालना याद आता है औरनीली आँखों की चमक में तैरता वात्सल्य भी-जैसे किसी ऊँचाई फ. देवदारु की छाया में खड़े हों।

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