कोरोना के हीरो (प्रशासनिक एवं चिकित्सकिय विभाग) पर अनुच्छेद लिखिए |
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Answer:
कोरोना वायरस के बारे में बच्चों को जागरूक करने के लिए सरकार ने अनूठी पहल की है. उसने एक कॉमिक्स जारी की है. इसमें बच्चों को सुपर हीरो 'वायु' से जानने को मिलता है कि कोरोना को कैसे हराया जा सकता है.
इसका कवर पेज बेहद दिलचस्प है. इसमें सुपर हीरो वायु और कोरोना को लड़ते हुए दिखाया गया है. कॉमिक का शीर्षक है- 'किड्स, वायु एंड कोरोना.' इसे पीजीआईएमईआर-चंडीगढ़, पंजाब यूनिवर्सिटी, पोस्ट ग्रेजेएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल, एजुकेशन एंड रिसर्च-चंडीगढ़ और भारतीय रेल के सहयोग से बनाया गया है.
Explanation:
22 पन्नों की इस कॉमिक के जरिये बड़े आसान और रोचक तरीके से कोरोना की रोकथाम को लेकर बताया गया है. कॉमिक हाथ धोने, साफ-सफाई, सामाजिक दूरी, बिना संपर्क के लोगों का अभिवादन और बीमार पड़ने पर डॉक्टर की सलाह के महत्व के बारे में कॉर्टून के जरिये बताती है. इसका संदेश भी यही है कि इन चीजों की मदद से कोरोना को धूल चटाई जा सकती है.
कोरोना का संक्रमण निश्चित ही पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है. सरकार इसकी रोकथाम के लिए जो कदम उठाए जा सकते हैं, उठा रही है. तमाम राज्यों में कर्फ्यू और लॉकडाउन है.
ट्रेन, फ्लाइट और सार्वजनिक परिवहन पर रोक लगा दी गई है. देश में इससे संक्रमित होने वालों की संख्या करीब 500 के आसपास पहुंच गई है. दुनियाभर में इससे करीब 4 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं. इस वायरस के कारण 16,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
Explanation:
रविवार 22 मार्च को भारत में कई लोगों ने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में सबसे आगे खड़े स्वास्थ्य कर्मियों के लिए तालियां और थालियां बजाईं. जिसके बाद देश के एक डॉक्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये खुला ख़त लिखा.
हेलो मिस्टर प्रधानमंत्री,
राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक अस्पताल के पीडीऐट्रिक आईसीयू में काम करने वाला डॉक्टर होने के नाते, मैं आपका ध्यान ज़मीनी हालात की ओर दिलाना चाहता हूं. एन95 तो भूल जाइए, हमारे पास सामान्य मास्क तक पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं. हमें अपने गाउन 2-3 दिन तक दोबारा इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं, जो बिना गाउन के काम करने के ही बराबर है. सभी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की सप्लाई बहुत कम है. अगर देश की राजधानी के बीचों-बीच स्थित एक अस्पताल की हालत ये है तो हम देश के दूसरे हिस्सों के लिए क्या ही उम्मीद ही जा सकती है.
बात ये है कि अगर आप इस महामारी से निपटने में हेल्थ सिस्टम की मदद करना चाहते हैं तो 'बाल्कनी में खड़े होकर ताली बजाने' की जगह आपको उन्हें उपकरण देने चाहिए. मुझे 99% भरोसा है कि ये खुला ख़त आपतक नहीं पहुंचेगा, लेकिन फिर भी इस उम्मीद में ये ख़त लिख रहा हूं कि दूसरे डॉक्टर और आम नागरिक खड़े होकर ताली बजाने की जगह एक प्रभावी समाधान के लिए एकजुट होंगे. अगर आप स्वास्थ्य कर्मियों को वो चीज़ें नहीं दे सकते, जो उन्हें अपनी और देश की सुरक्षा के लिए चाहिए तो तालियां बजाकर उनका मज़ाक ना उड़ाएं.