Hindi, asked by reejsehaj, 2 months ago

कोरोना काल में आपने जो अनुभव किए,उन्हें एक रंगीन A4 शीट पर 100 शब्दों के अनुच्छेद द्वारा चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित कीजिए।​

Answers

Answered by llFollowll27
2

{\huge{\boxed{\tt{\color {red}{Answer❀✿°᭄}}}}}

हमारी पूरी मानव जाति आज एक ऐसी महामारी से जूझ रही है, जो मानव के स्वयं की गलतियों को प्रकाशित कर रहा है। मेरे अनुसार भारत में कोरोना की जंग लड़ने के लिए दो अलग-अलग पक्ष हैं। एक पक्ष हमें यह बताता है कि हमें घर पर रहना चाहिये, साफ-सफाई का ध्यान रखना एवं सरकार की बातों का पालन करना चाहिए; तभी हम और हमारा परिवार कोरोना से सुरक्षित रहेंगे। इसी के विपरीत दूसरा पक्ष वह है जो समाज की सारी समस्याओं का हल करने के लिये किसी आकाशवाणी पर निर्भर करता है।

इन लॉक डाउन के दिनों में भारत के हर कोनों से अलग अलग आकाशवाणी सुनने को मिली है। मैंने एक बार अपनी माता श्री से यह पूछा कि इस तरह की आकाशवाणी मेरे साथ क्यों नहीं होती? इस पर वह अपनी पूजा की घंटियों को बजाते हुऐ मेरी तरफ देखते हुए बोली, “यह सब नास्तिको के साथ नहीं होता। देख नहीं रही हो, माता दुर्गा के वजह से ही भारत में स्थिति नियंत्रण में है। विदेशों में लोग पूजा-पाठ नहीं करते इस लिए वहाँ ऐसी स्थिति है।”

लॉकडाउन में कोरोना वायरस को लेकर राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम ने देशवासियों से एक खास अपील किया कि 22 मार्च को हम ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें जो जोखिम उठाकर आवश्यक कामों में लगे हैं, इस महामारी से लड़ने में मदद कर रहे हैं। रविवार को ठीक 5 बजे हम अपने घर के दरवाज़े, बालकनी-खिड़कियों के सामने खड़े होकर पांच मिनट तक ताली-थाली बजा कर उन लोगों के प्रति कृतज्ञता जताएं। सभी ने इसका पालन भी किया लेकिन हमारा वैसा पक्ष जो आकाशवाणी पर निर्भर करता है उन सभी को यह समझ आया कि कोरोना एक वायरस है जिसके हम इंसानों की तरह 2 कान हैं और हमारे आवाज़ करने से वह भाग जायेगा। इस तरह हमारे लॉकडाउन की शुरुआत हुई।

Answered by xXItzSujithaXx34
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हमारी पूरी मानव जाति आज एक ऐसी महामारी से जूझ रही है, जो मानव के स्वयं की गलतियों को प्रकाशित कर रहा है। मेरे अनुसार भारत में कोरोना की जंग लड़ने के लिए दो अलग-अलग पक्ष हैं। एक पक्ष हमें यह बताता है कि हमें घर पर रहना चाहिये, साफ-सफाई का ध्यान रखना एवं सरकार की बातों का पालन करना चाहिए; तभी हम और हमारा परिवार कोरोना से सुरक्षित रहेंगे। इसी के विपरीत दूसरा पक्ष वह है जो समाज की सारी समस्याओं का हल करने के लिये किसी आकाशवाणी पर निर्भर करता है।

इन लॉक डाउन के दिनों में भारत के हर कोनों से अलग अलग आकाशवाणी सुनने को मिली है। मैंने एक बार अपनी माता श्री से यह पूछा कि इस तरह की आकाशवाणी मेरे साथ क्यों नहीं होती? इस पर वह अपनी पूजा की घंटियों को बजाते हुऐ मेरी तरफ देखते हुए बोली, “यह सब नास्तिको के साथ नहीं होता। देख नहीं रही हो, माता दुर्गा के वजह से ही भारत में स्थिति नियंत्रण में है। विदेशों में लोग पूजा-पाठ नहीं करते इस लिए वहाँ ऐसी स्थिति है।”

लॉकडाउन में कोरोना वायरस को लेकर राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम ने देशवासियों से एक खास अपील किया कि 22 मार्च को हम ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें जो जोखिम उठाकर आवश्यक कामों में लगे हैं, इस महामारी से लड़ने में मदद कर रहे हैं। रविवार को ठीक 5 बजे हम अपने घर के दरवाज़े, बालकनी-खिड़कियों के सामने खड़े होकर पांच मिनट तक ताली-थाली बजा कर उन लोगों के प्रति कृतज्ञता जताएं। सभी ने इसका पालन भी किया लेकिन हमारा वैसा पक्ष जो आकाशवाणी पर निर्भर करता है उन सभी को यह समझ आया कि कोरोना एक वायरस है जिसके हम इंसानों की तरह 2 कान हैं और हमारे आवाज़ करने से वह भाग जायेगा। इस तरह हमारे लॉकडाउन की शुरुआत हुई।

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