कोरोना महामारी के प्रथम चरण और द्वितीय चरण का तुलना आकड़ा तैयार करें किजिये
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भारत में कोरोना वायरस महामारी को एक साल से अधिक समय हो चुका है. 22 मार्च 2020 को भारत में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लगा था.
पिछले एक साल में जहां कोरोना वायरस के मामलों को 97 हज़ार से नौ हज़ार तक पहुंचते देखा गया वहीं, अब फिर से कोरोना वायरस ने रफ़्तार पकड़ ली है और आंकडा 50 हज़ार के पार पहुंच गया है.
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ चुकी है और कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
30 मार्च को कोरोना के 56,211 मामले आ चुके हैं. 271 लोगों की मौत हो गई है और देश में पांच लाख से ज़्यादा एक्टिव मामले हैं.
अब तक भारत में कोरोना वायरस के एक करोड़ 20 लाख से ज़्यादा मामले हो चुके हैं.
एक दिन पहले यानी 29 मार्च की बात करें तो कोरोना के 68,020 मामले आए थे जो दूसरी लहर में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
कोरोना वायरस के मामले उस दौरान बढ़ रहे हैं जब देशभर में टीकाकरण अभियान चल रहा है. जनवरी से शुरु हुए इस अभियान को लगभग तीन महीने हो चुके हैं. 30 मार्च तक देशभर में 6,11,13,354 लोगों को कोरोना वायरस का टीका दिया चुका है.
सरकारें मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालने करने की लगातार अपील कर रही हैं. इसके लिए सख़्ती भी बरती गई है.
अब फिर से समारोहों और सभाओं पर रोक लगाई जा रही है. केरल में चुनाव होने वाले हैं लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आयोजनों, समारोहों, विरोध प्रदर्शन और रैलियों पर 15 दिनों के लिए रोक लगा दी गई है.
होली में भी अलग-अलग राज्यों ने दिशानिर्देश जारी किए थे. जिनमें सार्वजनिक समारोहों और ज्यादा मामलों वाले राज्यों से आवाजाही पर सख़्ती बरती गई थी.
दूसरी लहर में रफ़्तार क्यों
इस सबके बावजूद भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. वैक्सीनेशन और हर्ड इम्यूनिटी का प्रभाव नहीं दिख रहा है. ऐसे में कोरोना के अंत और उसके तरीक़ों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
पहला तो ये कि कोरोना महामारी की पहली लहर में जहां एक दिन में 97 हज़ार मामले होने में सितंबर तक का समय लग गया था वहीं, इस साल फरवरी से मार्च के बीच ही 68 हज़ार मामले सामने आ चुके हैं. कोरोना फैलने की रफ़्तार में इतनी तेज़ी की वजह क्या है.
सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य प्रणाली विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया कहते हैं, “बाकी देशों से जो अनुभव आये हैं वो बताते हैं कि कोविड-19 अपनी दूसरी लहर में तेज़ी से फैलता है. हालांकि, उसकी बीमारी करने की क्षमता तुलनात्मक रूप से कम होती है. लगभग सारे देशों में पहली लहर के मुक़ाबले दूसरी लहर ज़्यादा ख़तरनाक रही है. ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन जब लोग असावधान हो जाते हैं तो वायरस के लिए स्थितियां और अनुकूल हो जाती हैं. वर्तमान में ऐसा ही हो रहा है.
बीएल कपूर अस्पताल में सेंटर फॉर चेस्ट एंड रेस्पायरेट्री डिजीज़ विभाग के प्रमुख डॉक्टर संदीप नायर इसके पीछे दो कारणों को मुख्यतौर पर ज़िम्मेदार बताते हैं.
डॉक्टर संदीप ने बताया, “जब से कोरोना वायरस के मामले कम हुए हैं तब से लोग लापरवाह हो गए हैं. उन्होंने मास्क लगाना, बार-बार हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना कम कर दिया है. साथ ही कई लोगों को लगने लगा है कि वैक्सीन की एक डोज़ लेने बाद ही वो इम्यून हो गए हैं. अब उन्हें कोरोना नहीं होगा लेकिन, ऐसा नहीं है.”
दूसरी वजह है वायरस के नए वैरिएंट. वायरस के जो नए वैरिएंट मिले हैं वो ज़्यादा संक्रामक हैं. यूके के नए स्ट्रेन में भी यही पाया गया था. ऐसे में वायरस और लोगों के व्यवहार में एकसाथ हुए बदलाव ने दूसरी लहर को जन्म दे दिया है.”
भारत में पिछले कुछ समय में वायरस के नए वैरिएंट पाए गए हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि भारत में कोरोना वायरस के एक नए 'डबल म्यूटेंट' वेरिएंट का पता चला है.
मंत्रालय के मुताबिक देश के 18 राज्यों में कई 'वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न्स' (VOCs) पाए गए हैं. इसका मतलब है कि देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के अलग-अलग प्रकार पाए गए हैं जो स्वास्थ्य पर हानिकारक असर डाल सकते हैं.
यहां ब्रिटेन, दक्षिण अफ़्रीका और ब्राज़ील में पाए गए वैरिएंट भी मिले हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इन वैरिएंट को सावधानी बरतकर ही रोका जा सकता है.