Hindi, asked by ritumalkar2004, 2 days ago

क्रोध मनुष्य के विकास के मार्ग में बाधक होता है', इस पर अपने विचार लिखिए |

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Answered by parasthakare8788
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Answer:

क्रोध मनुष्य को बर्बाद कर देता है और उसे अच्छे बुरे का पता नही चलने देता, जिस कारण मनुष्य का इससे नुक्सान होता है। ... इसलिए इसान को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए और अपने मन को हमेशा शात रखना चाहिए। इससे व्यक्ति सबका प्यारा बन जाता है और वह अपना व दूसरों का भला करता है।

Answered by technoblackberrygame
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Answer:

हेलो दोस्त मेरा आंसर ले लो

Explanation:

क्रोध मनुष्य को बर्बाद कर देता है और उसे अच्छे बुरे का पता नही चलने देता, जिस कारण मनुष्य का इससे नुक्सान होता है। ... इसलिए इसान को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए और अपने मन को हमेशा शात रखना चाहिए। इससे व्यक्ति सबका प्यारा बन जाता है और वह अपना व दूसरों का भला करता है।

संवाद सहयोगी, उकलाना : क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है जो उसे नरक के रास्ते पर ले जाता है। क्रोध मनुष्य को बर्बाद कर देता है और उसे अच्छे बुरे का पता नही चलने देता, जिस कारण मनुष्य का इससे नुक्सान होता है। यह बात जैन संत डा. सुवर्त मुनि महाराज ने स्थानीय जैन स्थानक में प्रवचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि क्रोध मनुष्य का प्रथम शत्रु होता है। क्रोधी व्यक्ति आवेश में दूसरे का इतना बुरा नहीं जितना स्वयं का करता है। क्रोध व्यक्ति की बुद्धि को समाप्त करके मन को काला बना देता है। उन्होंने कहा कि क्रोध में व्यक्ति की आखें बंद हो जाती है और मुंह खुल जाता है। इसका परिणाम ये होता है कि उसे पता नहीं चलता की वह सामने वाले के साथ क्या व्यवहार कर रहा है। जिस कारण उसके अपने भी पराए बनते जाते है और वह समाज से एक तरह से कट जाता है। इसलिए इसान को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए और अपने मन को हमेशा शात रखना चाहिए। इससे व्यक्ति सबका प्यारा बन जाता है और वह अपना व दूसरों का भला करता है। इस मौके पर सज्जान मित्तल, सुरेश जैन, संजय जैन, अशोक, मनोज, सुनील, सतपाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद थे।

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