क्रोधः नाशयते धैर्य, क्रोध: नाशयते श्रुतम्।
क्रोधः नाशयते सर्वं, नास्ति क्रोधसमो रिपुः ॥ 2 ॥
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क्रोधः नाशयते धैर्य, क्रोध: नाशयते श्रुतम्।
क्रोधः नाशयते सर्वं, नास्ति क्रोधसमो रिपुः।।
अर्थ ➲ क्रोध से धैर्य का नाश होता है, क्रोध से शास्त्रों द्वारा प्राप्त ज्ञान नष्ट होता हैष क्रोध के कारण हमने जो कुछ भी अर्जित किया है, वह सब नष्ट हो जाता है। क्रोध मनुष्य की बुद्धि विवेक को हर लेता हैस इसलिए क्रोध के समान इस संसार में दूसरा कोई शत्रु नहीं है।
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Explanation:
- क्रोध धैर्य को नाश करता है , क्रोध विवेक को नाश करता है।
- क्रोध सब कुछ नाश कर देता है ,इसीलिए क्रोध के समान पूरे विश्व में कोई शत्रु नहीं है।
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