कार्यपत्र 4 संकेत पदें और अरुण गाँधी के पत्र की पूर्ति करें। संकेत... देरी क्यों हुई? डरबन कार तैयार नहीं थी। सिनेमा देखने थियटर गया। 18 मील वे पैदल चले थे। मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा। 3/5/1952 प्रिय मित्र, तुम कैसे हो? ठीक हो न? पिताजी ने खुद ही सज़ा ली। "मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा।" आपका प्रिय मित्र अरुण गाँधी सेवा में अब्दुल सवाद 13, मीरा मार्ग नई दिल्ली
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झूठ बोलना कभी भी सही नहीं है। क्योंकि यह एक बुरी आदत है। झूठ बोलने से तत्काल फ़ायदा हो सकता है। लेकिन इससे भविष्य में नुकसान ही होगा।
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