कारखाना एक्ट, 1948 पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
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कारखाना अधिनियम, 1948 (Factories Act, 1948 (Act No. 63 of 1948)), जो संशोधित करके कारखाना (संशोधित) अधिनियम १९८७ हो गया है, भारत में कारखानों में व्यावसायिक सुरक्षा सम्बन्धी नीतियाँ बनाने में सहायक है। इसमें कार्यस्थल पर व्यक्ति की संरक्षा, स्वास्थ्य, दक्षता आदि पर नीति निर्धारित करता है।
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कारखाना एक्ट, 1948
Explanation:
कारखाना एक्ट 1948 यह कहता है कि कारखानों की स्थापना या उनके संचलन कि जो जो प्रक्रियाएं होंगी वह इस कारखाना एक्ट के अंतर्गत होंगी। जैसे:
- इस कारखाना एक्ट के अंतर्गत कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों की के स्वास्थ्य व कल्याण पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- अगर किसी श्रमिकों को काम करते वक्त कोई क्षति पहुंचती है, तो उसको उचित रूप से मुआवजा तथा आगे उसको सुरक्षा प्रदान करना इस एक्ट के तहत देखा जाएगा।
- कारखाने में टूटी-फूटी मशीनें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी। उच्च कोटि की मशीन इस्तेमाल होंगी तथा उनकी रिपेयरिंग समय-समय पर होगी।
- मजदूरों को कैंटीन में साफ खाना व स्वच्छ पानी दिया जाएगा।
इस प्रकार के कुछ अधिनियमों का उल्लेख इस एक्ट में किए गए हैं। यह नियम श्रमिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। ताकि उनको कारखानों में होने वाली दुर्घटना से बचाया जा सके तथा जो फैक्ट्री या कारखाना मालिक श्रमिकों का शोषण करते हैं, यह एक्ट उनसे श्रमिकों को बचाने के लिए बनाया गया है।
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