कारण की बात करना बेकार है । कारण हर चीज का कुछ न कुछ होता है , हालांकि यह आवश्यक नहि कि जो कारण दिया जाए , वास्तविक कारण वही हो और जब मैं अपने ही सम्बन्ध में निश्चित नहीं हैं , तो और किसी चीज के कारण अकारण के सम्बन्ध में निश्चित कैसे हो सकता हूँ
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कारण की बात करना बेकार है । कारण हर चीज का कुछ न कुछ होता है , हालांकि यह आवश्यक नहि कि जो कारण दिया जाए , वास्तविक कारण वही हो और जब मैं अपने ही सम्बन्ध में निश्चित नहीं हैं , तो और किसी चीज के कारण अकारण के सम्बन्ध में निश्चित कैसे हो सकता हूँ।
✎... यह कथन हिंदी के प्रसिद्ध एकांकी लेखक ‘मोहन राकेश’ द्वारा रचित “आधे -अधूरे” नाटक से उद्धृत किया गया है। मोहन राकेश कृत “आधे-अधूरे” नाटक एक प्रयोगात्मक नाटक है। इस नाटक के माध्यम से लेखक ने एक ही व्यक्ति को चार अलग-अलग व्यक्तियों की भूमिका में प्रस्तुत किया है। सबसे पहले मंच पर आने वाले व्यक्ति को काले सूट वाला व्यक्ति नाम दिया गया है। यही काले सूट वाला व्यक्ति इस कथन को व्यक्त कर रहा है और नाटक के अनिश्चित कथानक और नाटक के प्रतिपाद्य विषय में दर्शकों को बता रहा है।
व्याख्या : इस कथन का भावार्थ यह है कि लेखक कहना चाहता है कि काले सूट वाला व्यक्ति अपनी अस्पष्ट स्थिति को व्यक्त करते हुए कहता है कि हर चीज के पीछे कोई ना कोई कारण ही होता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता कि जो कारण दिया जाए, वही वास्तविक कारण हो। इस तरह मंच पर आने वाला काले सूट वाला व्यक्ति नाटक के विषय में और अपने आप के बारे में अनिश्चितता की स्थिति में है।
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