किसी भी विषय में अति को हानिकारक क्यों बताया गया है
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किसी भी विषय का आवश्यकता से अधिक भोग किया जाए। तो वह हमारे लिए हानिकारक हो जाता है। अतः जीवन के संचालन हेतु विषयों का नियमित रूप से भोग करना अति अत्यावश्यक है। जैसे–अत्यधिक सोने वाले आलस्य को प्राप्त करते हैं। अत्यधिक खाने वाले मोटापे को प्राप्त कर लेते हैं।
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