कुसंगति की हानियाँ बताते हुए छोटे भाई के पास
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नई दिल्ली।
दिनांक: ...........
प्रिय अमन,
बहुत प्यार!
कल तुम्हारे मित्र से मुलाकात हुई। उससे ज्ञात हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में न लगकर अवारा लड़कों के साथ यहाँ-वहाँ घूमने में लगता है। इसके लिए तुम्हें विद्यालय की तरफ़ से भी सचेत किया जा चुका है। उनके साथ सारा समय नष्ट करने के कारण तुम परीक्षा में भी अनुत्तीर्ण हुए हो। तुम्हारे इस कार्य से घर में सभी दुखी हैं।
भाई ध्यान रखना तुम्हारे ये कुमित्र तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे। बुरी संगति मनुष्य को ले डुबती है। यदि मित्र अच्छा हो तो जीवन संवर जाता है और यदि मित्र बुरा हो तो जीवन नरक से भी बुरा हो जाता है। विद्वानों ने सही कहा है, 'जीवन में अच्छी संगति का बहुत महत्व होता है।' एक मित्र अच्छा हो तो सही मार्गदर्शन कर हमें सफलता के शिखर पर ले जाता है। हमें चहिए अच्छे लोगों से मित्रता करें।
हमारे माता-पिता ने तुम्हें पढ़ने के लिए शिमला के सबसे अच्छे विद्यालय में भेजा है ताकि तुम्हारा भविष्य संवर सके। परन्तु तुम्हारे इस व्यवहार से वे बहुत चिन्तित हैं। मुझे आशा है, तुम कुसंगति से अपना मन हटाकर पढ़ाई में ध्यान लगाओ।
तुम्हारा शुभचिंतक भाई,
विपिन
I hope it helps you. please mark my answer as brainliest.
दिनांक: ...........
प्रिय अमन,
बहुत प्यार!
कल तुम्हारे मित्र से मुलाकात हुई। उससे ज्ञात हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में न लगकर अवारा लड़कों के साथ यहाँ-वहाँ घूमने में लगता है। इसके लिए तुम्हें विद्यालय की तरफ़ से भी सचेत किया जा चुका है। उनके साथ सारा समय नष्ट करने के कारण तुम परीक्षा में भी अनुत्तीर्ण हुए हो। तुम्हारे इस कार्य से घर में सभी दुखी हैं।
भाई ध्यान रखना तुम्हारे ये कुमित्र तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे। बुरी संगति मनुष्य को ले डुबती है। यदि मित्र अच्छा हो तो जीवन संवर जाता है और यदि मित्र बुरा हो तो जीवन नरक से भी बुरा हो जाता है। विद्वानों ने सही कहा है, 'जीवन में अच्छी संगति का बहुत महत्व होता है।' एक मित्र अच्छा हो तो सही मार्गदर्शन कर हमें सफलता के शिखर पर ले जाता है। हमें चहिए अच्छे लोगों से मित्रता करें।
हमारे माता-पिता ने तुम्हें पढ़ने के लिए शिमला के सबसे अच्छे विद्यालय में भेजा है ताकि तुम्हारा भविष्य संवर सके। परन्तु तुम्हारे इस व्यवहार से वे बहुत चिन्तित हैं। मुझे आशा है, तुम कुसंगति से अपना मन हटाकर पढ़ाई में ध्यान लगाओ।
तुम्हारा शुभचिंतक भाई,
विपिन
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दिनांक…………..
प्रिय राजन,
शुभाशीर्वाद,
कल माताजी का पत्र मिला था। इसे पढ़कर मालूम हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा, बल्कि बुरे लड़कों की संगति में लग रहा है। यही कारण है कि प्रथम सत्र की परीक्षा में तुम उत्तीर्ण नहीं हुए।
मेरे प्रिय भाई! बुरी संगति आदमी का जीवन बर्बाद कर देती है। इससे तुम्हारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। विद्वानों ने सत्संगति का बड़ा महत्व बताया है। हमें उनका अनुकरण करना चाहिए।
आशा है, तुम पढ़ाई में अपना मन लगाओगे और छमाही परीक्षा अव्वल आओगे तथा शिकायत का अवसर नहीं दोगे।
तुम्हारा भाई,
मनोज शर्मा
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