कुसंगति का क्या प्रभाव हो सकता है???
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इससे मनुष्य के अंदर की बुराईयाँ खत्म हो जाती है। लेकिन कुसंगति सत्संगति की बिलकूल उल्टी होती है यह मनुष्य के अंदर बुराईयाँ पैदा करती है। ... यह कभी भी नहीं हो सकता है कि मनुष्य कुसंगति के प्रभाव से बच सकता है। जो व्यक्ति दुष्ट और दुराचारी व्यक्तियों के साथ रहते हैं वे व्यक्ति भी दुष्ट और दुराचारी बन जाते हैं।
Answer:
कुसंगति का अर्थ होता है – बुरी संगत। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होता है। जब तक वो समाज में संबंध प्राप्त नहीं कर पाते हैं तब तक वो अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं। समाज में कई तरह के लोग होते हैं। कुछ अच्छे लोग होते हैं तो कुछ बुरे लोग होते हैं।
जब व्यक्ति की संगत अच्छी होती है तो उससे उसकी जड़ता को दूर किया जाता है। सत्संगति से मनुष्य की वाणी, आचरण में सच्चाई आती है। मनुष्य के अंदर से पापों का नाश होता है। इससे मनुष्य के अंदर की बुराईयाँ खत्म हो जाती है।
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