किसे जीवन का सूत्र माना गया है ?
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84 वर्षीय श्री सत्य साईं बाबा आजादी के बाद देश-विदेश में अपना विशेष प्रभाव रखने वाले प्रसिद्ध धर्मगुरु के रूप में जाने जाते हैं। सत्य और विज्ञान को वह अपनी तरह से परिभाषित करते हैं। जानते हैं उनके पांच सूत्रों को।
सत्य
सत्य वह है, जो समय, स्थान और गुण में बदलाव होने पर बदलता नहीं है। वह शाश्वत है, अप्रभावी और अपरिवर्तनीय है। सच वह है, जिसे महज किसी घटना या जानकारी के आधार पर झूठा साबित नहीं किया जा सकता। भौतिक जगत में लगातार बदलाव होते रहते हैं, पर ईश्वर बिल्कुल शुद्ध है, पूर्ण है और वही अंतिम सत्य है। इस सच को केवल शुद्ध चेतन वाला व्यक्ति ही अनुभव कर सकता है। इसे माया या संदेह में रह कर हासिल नहीं किया जा सकता। सत्य के तीन प्रकार हैं: निजम (तथ्य), सत्यम (सच) और ऋतम (पूर्ण सच)।
तथ्य समय के अनुसार बदलता रहता है, पर सच हमेशा एक-सा रहता है। ऋतम का संबंध आत्मा से है, शरीर और दिमाग के विपरीत अपरिवर्तनीय और शाश्वत है। मनुष्य का मुख्य दायित्व यही है कि वह सच की खोज करे। सच को सिर्फ समर्पण और निष्ठा से ही हासिल किया जा सकता है, जो कि भगवान के आशीर्वाद स्वरूप ही प्राप्त होते हैं।