parivertan hi buddhimata ka maap hai
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सदी के महानतम वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा यह कथन हमारे जीवन के हर पहलू के लिए सत्य है। हमारे जीवन में हर दिन कई बदलाव होते रहते हैं । इन बदलावों में से कई बदलाव अपरिहार्य होते हैं। ऐसे में इन सभी बदलावों का सामना करने के लिए हमें स्वयं को बदलना सीखना चाहिए, क्यूंकि हम परिस्थितियों नहीं बदल सकते हैं।
बदलने की क्षमता को बुद्धिमत्ता का माप बताने से पहले हमें यह समझना होगा कि आखिर बदलाव है क्या? सरल शब्दों में कहें तो बदलाव वह परिवर्तन है, जो कोई व्यक्ति अपने जीवन को सरल बनाने के लिए करता है। उदहारण के लिए, में लीजिए कि एक छात्र, काफी मेहनत करने के बावजूद भी अच्छे अंक लाने में असफल होता है। उसके मित्र, परन्तु उस ही परीक्षा में बेहतर अंक लाते हैं। हर बच्चे के पढ़ने का तरीका अलग होता है। तो वह छात्र भी अपने पढ़ाई के तरीके में बदलाव लाएगा, ताकि उसे भी अच्छे अंक आएं। इसका मतलब यह है कि बदलाव जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। जीवन में आए दिन हमें छोटे बड़े बदलाव करने ही पड़ते हैं।
ऐसे मे बुद्धिमान व्यक्ति उसे ही समझा जाना चाहिए जो सभी परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को बदलने की क्षमता रखता हो। यह बदलाव हमारी जिंदगी में जरूरी भी है क्योंकि यदि परिस्थितियों के साथ हम बदलते नहीं हैं, तो हमे जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है जो खुद को सभी परिस्थितियों के अनुरूप बदल ले और सभी परिस्थितियों का सामना डटकर करें।
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कहा था कि आप स्वयं में वह बदलाव लाएं जो आप दुनिया में लाना चाहते हैं। यह कथन शत प्रतिशत सही है। हमारे इतिहास में जितने भी बुद्धिजीवी हुए हैं उन सभी ने पहले अपनी सोच में बदलाव लाया और उसके पश्चात समाज में बड़ा बदलाव लाने में सफल हुए। सभी बुद्धिजीवी बदलते समय के साथ अपनी सोच को बदला और समाज से सभी कुप्रथाओं को खत्म करने में सफल हुए।
अतः हम सभी को परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को बदलना सीखना चाहिए ताकि हम विभिन्न परिस्थितियों का सामना बेहतर ढंग से कर पाएं।