किस कारण से व्यापारी लोगे किसान को लूट रहै है?
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पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान इन दिनों दिल्ली में केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानून का विरोध कर रहे हैं. इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान जमा हुए हैं और वे लगातार धरने पर बैठे हुए हैं. इस बीच बुधवार को इन किसानों ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत भी की लेकिन किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. ये किसान नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
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अपेक्षा अधिक है। लेकिन कम दामों में बाजरा बेचकर किसानों को खासा नुकसान झेलने पर विवश होना पड़ रहा है। बाजरे का समर्थन मूल्य 1275 रुपये के मुकाबले आज बाजरे की खुली बोली पर 1150 रुपये से 1210 रुपये तक खरीदा गया। कार्यालय में मंडी सचिव के न मिलने पर कर्मचारियों ने बताया कि भाव की जानकारी जिला उपायुक्त को दी जा चुकी है। किसान कृष्ण यादव, रूपराम, हसराज, गणेशदास, नरेश कुमार, लालाराम, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार आदि ने सरकारी खरीद न होने पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी पार्टी की सरकार आए वह दावा किसान हित का करती है। लेकिन हित के स्थान पर वह किसानों की जेब कटवाने का काम करती है। व्यापारी खुली बोली पर किसानों की जेब काट रहे है और मंडी प्रशासन मूक बना तमाशा देख रहा है। एक अक्टूबर से बाजरे की सरकारी खरीद शुरू होगी। किसानों का कहना है कि अब तक अधिकतर बाजरा मंडी में आकर बिक चुका है। अब किसानों के लुटने के बाद सरकार की नींद खुलती है तो किसानों को क्या लाभ होगा।
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