Political Science, asked by maahira17, 1 year ago

किसी कक्षा में द्वि-सदनीय प्रणाली के गुणों पर बहस चल रही थी। चर्चा में निम्नलिखित बातें उभरकर सामने आयीं। इन तक को पढ़िए और इनसे अपनी सहमति असहमति के कारण बताइए।
(क) नेहा ने कहा कि द्वि-सदनीय प्रणाली से कोई उद्देश्य नहीं सधता।
(ख) शमा का तर्क था कि राज्य सभा में विशेषज्ञों का मनोनयन होना चाहिए।
(ग) त्रिदेव ने कहा कि यदि कोई देश संघीय नहीं है, तो फिर दूसरे सदन की जरूरत नहीं रह जाती।

Answers

Answered by nikitasingh79
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Answer with Explanation:

(क) नेहा ने कहा कि द्वि-सदनीय प्रणाली से कोई उद्देश्य नहीं सधता।

उत्तर : हम नेहा के विचार से सहमत नहीं हो सकते, क्योंकि द्विसदनीय प्रणाली से कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है । दूसरा सदन पहले सदन की निरंकुशता को रोकता है तेरा दूसरा सदन पहले में अविचारपूर्ण तथा जल्दी में पास किए गए कानूनों को रोकता है । दूसरा सदन पहले सदन की क्रांतिकारी योजनाओं को रोकता है । दूसरे सदन के पास काफ़ी समय होता है जिससे बिलों पर पूर्ण किया जाता है।

(ख) शमा का तर्क था कि राज्य सभा में विशेषज्ञों का मनोनयन होना चाहिए।

उत्तर : हम शमा के तर्क से सहमत हैं कि राज्यसभा में विशेषज्ञों का मनोनयन होना चाहिए, क्योंकि इससे वे देश के निर्माण में अपने मूल्यवान विचारों एवं अनुभवों का प्रयोग कर सकते हैं।  

(ग) त्रिदेव ने कहा कि यदि कोई देश संघीय नहीं है, तो फिर दूसरे सदन की जरूरत नहीं रह जाती।

उत्तर : हम त्रिदेव के तर्क से सहमत नहीं है , क्योंकि यह आवश्यक नहीं है कि द्विसदनीय प्रणाली सदैव संघात्मक राज्यों में ही होगी, ‌ इंग्लैंड एकात्मक राज्य है, परंतु वहां पर दो सदन है। इंग्लैंड में लार्ड सदन कई शताब्दियों से चला आ रहा है । लार्ड सदन कॉमन सदन से आए हुए बिलों पर विचार करता है। लार्ड सदन में विवादहीन और विरोधहीन  बिलों को लार्ड सदन में पेश किया जा सकता है और किया भी जाता है । लार्ड सदन विवादहीन और विरोधहीन बिलों पर खूब छानबीन करता है और विचार कर उस बिल को  कॉमन सदन में भेजता है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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