किसानो को बिचौलिया और दलालों के शोषण से बचाने के लिए सरकार द्वारा
किस मूल्य को जारी किया जाता है ?
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नए कृषि अध्यादेशों को लेकर देश के किसान संगठन लगातार आवाज उठा रहे हैं। भारतीय किसान महासंघ का कहना है कि नए कृषि अध्यादेशों से किसानों का शोषण बढ़ेगा, पढ़िए भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ का विशेष लेख ...
हालिया समय में केंद्र सरकार तीन विषयों पर कृषि अध्यादेश लेकर आई है जिन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। ये तीनों अध्यादेश भारत के करोड़ों किसान परिवारों के भविष्य से जुड़े हुए हैं।
एक तरफ सरकार व अनेक अर्थशास्त्री इस बात को मानते हैं कि कोरोना वायरस काल में सिर्फ किसानों की मेहनत/कृषि क्षेत्र के आधार पर ही देश की अर्थव्यवस्था का पहिया घूम रहा है, दूसरी तरफ केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर खरीद बन्द कर के किसानों का शोषण करने में लगी हुई है।
अगर देखा जाए तो आज भी किसानों को C2+50% के अनुसार फसलों का MSP नहीं मिल रहा है लेकिन उसके बावजूद किसान किसी तरह अपना जीवनयापन कर रहे हैं। यदि सरकार ने MSP पर खरीद को बंद कर दिया तो खेती-किसानी के साथ-साथ देश की खाद्यान सुरक्षा भी बड़े संकट में फंस जाएगी।
केंद्र सरकार की मंशा
इन अध्यादेशों के जरिये आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा।
इससे पहले भी कांग्रेस व बीजेपी की सरकारों ने MSP को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाने की असफल कोशिश की थी। फोटो : गाँव कनेक्शन
यह बात आप सब जानते ही होंगे कि हमारी केंद्र सरकार के ऊपर विश्व व्यापार संगठन यानी WTO का दबाव है कि किसानों को मिलने वाला MSP और हर प्रकार की सब्सिडी केंद्र सरकार समाप्त करे। इससे पहले भी कांग्रेस व बीजेपी की सरकारों ने MSP को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाने की असफल कोशिश की लेकिन किसानों के दबाव के सामने उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े।
अब केंद्र सरकार कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन का अनैतिक तरीके से फायदा उठाकर ये तीनों अध्यादेश लेकर आई है, सरकार को लगता है कि कोरोना वायरस के कारण किसान बड़े पैमाने पर इकठ्ठे होकर प्रदर्शन नहीं कर सकते इसलिये सरकार ने यह कदम उठाया।
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किसानों के विरोध को भांपने के लिए अब की बार मक्के और मूंग का एक भी दाना MSP पर नहीं खरीदा गया, आगे आने वाले समय में केंद्र सरकार गेहूं और धान की MSP पर खरीद भी बन्द करने की दिशा में बढ़ रही है।
केंद्र सरकार जो तीन कृषि अध्यादेश लेकर आई है, हम उन्हें विस्तार से आपके सामने रखते हैं।
पहला अध्यादेश है Farmer's Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Ordinance
इसके तहत केंद्र सरकार 'एक देश, एक कृषि मार्केट' बनाने की बात कह रही है। इस अध्यादेश के माध्यम से पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कम्पनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं। कृषि माल की बिक्री APMC यार्ड में होने की शर्त केंद्र सरकार ने हटा ली है।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कृषि माल की जो खरीद APMC मार्केट से बाहर होगी, उस पर किसी भी तरह का टैक्स या शुल्क नहीं लगेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि APMC मार्केट व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी क्योंकि APMC व्यवस्था में टैक्स व अन्य शुल्क लगते रहेंगे।
इस अध्यादेश के तहत केंद्र सरकार 'एक देश, एक कृषि मार्केट' बनाने की बात कह रही है। फोटो : गाँव कनेक्शन
इस अध्यादेश के तहत किसानों का माल खरीदने वाले पैन कार्ड धारक व्यक्ति, कम्पनी या सुपर मार्केट को तीन दिन के अंदर किसानों के माल की पेमेंट करनी होगी। सामान खरीदने वाले व्यक्ति या कम्पनी और किसान के बीच विवाद होने पर SDM इसका समाधान करेंगे।
पहले SDM द्वारा सम्बन्धित किसान एवं माल खरीदने वाली कम्पनी के अधिकारी की एक कमेटी बना के आपसी बातचीत के जरिये समाधान के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा, अगर बातचीत से समाधान नहीं हुआ तो SDM द्वारा मामले की सुनवाई की जाएगी। एसडीएम के आदेश से सहमत न होने पर जिला अधिकारी के पास अपील की जा सकती है, SDM और जिला अधिकारी को 30 दिन में समाधान करना होगा।
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एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि किसान व कम्पनी के बीच विवाद होने की स्थिति में इस अध्यादेश के तहत कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता। यहां पर गौर करने की बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारी हमेशा सरकार के दबाव में रहते हैं और सरकार हमेशा व्यापारियों व कम्पनियों के पक्ष में खड़ी होती है क्योंकि चुनावों के समय व्यापारी और कम्पनियाँ राजनीतिक पार्टियों को चंदा देती हैं। न्यायालय सरकार के अधीन नहीं होते और न्याय के लिए कोर्ट में जाने का हक हर भारतीय को संविधान में दिया है, नए अध्यादेश की वजह से किसानों को न्याय मिलना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
ध्यान रखने योग्य बात यह भी है कि केंद्र सरकार ने इस बात की कोई गारंटी नहीं दी है कि प्राइवेट पैन कार्ड धारक व्यक्ति, कम्पनी या सुपर मार्केट द्वारा किसानों के माल की खरीद MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होगी। केंद्र सरकार के इस अध्यादेश से सबसे बड़ा खतरा यह है कि जब फसलें तैयार होंगी, उस समय बड़ी-बड़ी कम्पनियां जानबूझ कर किसानों के माल का दाम गिरा देंगी और उसे बड़ी मात्रा में स्टोर कर लेंगी जिसे वे बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगी।
मंडियों में किसानों की फसलों की MSP पर खरीद सुनिश्चित करने के लिए और व्यापारियों पर लगाम लगाने के लिए APMC एक्ट अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा बनाया गया था। कानून के अनुसार APMC मंडियों का कंट्रोल किसानों के पास होना चाहिए लेकिन वहां भी व्यापारियों ने गिरोह बना के किसानों को लूटना शुरू कर दिया।
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