Hindi, asked by mhatrevishrant5, 1 month ago

किसान का छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करना-पड़ोसी से बहस होना-पत्नी का समझाना-पछतावा हो ना-संत के पास जाना-पंखा इकट्ठा करने को कहा ना-शहर के बीचो-बीच रखने को कहना-संत का समझाना-गलती का एहसास होना-सीख​

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Answered by Sasmit257
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Explanation:

बात यह थी कि वह आदमी उन बच्चों को कुछ बोल नहीं रहा था । संयोग से किसी भले

आदमी ने गाँव के बच्चों को उसपर पत्थर फेंकते हुए देख लिया । जब वह भला आदमी उस आदमी के करीब गया

उसके चेहरे पर मौजूद खोएपन के भाव के बावजूद उसे उस में गरिमा के चिह्न दिखे । 'यह आदमी पागल नहीं हो सब संकेत की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो

लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:

मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।

भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।

जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला

ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग

अर्थ होता है।

सकता' - उसने सोचा । गाँव के उस आगंतुक भले व्यक्ति ने उस आदमी से उसका नाम - पता पूछा, पर वह कोई उत्तर

नहीं दे सका । वह केवल इतना बोल पाया, “शायद मैं खो गया हूँ !'' यह सुनते ही गाँव के उस भले व्यक्ति ने निश्चय

किया कि वे सब उसे 'खोया हुआ आदमी' कहकर बुलाएँगे।

खोया हुआ आदमी इतना खोया था, इतना खोया था कि उसकी पूरी स्मृति का लोप हो चुका था । उसके जहन से

उसका नाम और पता पूरी तरह खो चुके थे । न उसे अपनी जाति पता थी, न अपना धर्म ।

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