किसान पर कविता (in hindi )
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किसान पर कविता
पेट जो भरता लोगों का
मिट्टी से फसल उगाता है,
उस किसान की खातिर तो
यह धरा ही उसकी माता है।
आलस जरा न तन में रहे
कोई डर न मन में रहे
जितनी भी मुसीबत पड़ती है
बिन बोले वो चुपचाप सहे,
बस परिवार के खातिर ही
वो रहता मुस्कुराता है
उस किसान की खातिर तो
यह धरा ही उसकी माता है।
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