किसी तरह कुल की बधाई काम दे जो किसी में वह बड़प्पन की कसर। पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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किस तरह कुल की बड़ाई काम दे
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।
कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध’ द्वारा रचित “फूल और कांटे” कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि के कहने का आशय यह है कि ऊंचे कुल में जन्म लेकर भी यदि कर्म श्रेष्ठ ना हों तो ऊँचे कुल में जन्म लेने का कोई महत्व नहीं होता अर्थात यदि ऊँचे कुल में जन्म लेकर भी हम घृणित कार्य करें तो ऊँचे कुल में जन्म लेने का कोई लाभ नहीं।
मनुष्य की सच्ची पहचान उसके सद्गुणों और व्यवहार से होती है। मनुष्य भले ही निम्न कुल में जन्म ले, लेकिन आदर्श और सदाचार वाला जीवन व्यतीत करेगा तो वह किस कुल में जन्म ले रहा है, इस बात का कोई महत्व नहीं। वह अपने सद्गुणों द्वारा किसी भी कुल रोशन कर सकता है। लेकिन ऊँचे कुल में जन्म लेकर भी यदि मनुष्य घृणित कार्य करें तो ऊँचे कुल में जन्म लेने का भी कोई महत्व नहीं रह जाता। अर्थात ऊँचे कुल में जन्म लेकर भी जिसमें बड़प्पन का भाव नहीं है तो उसका कोई अर्थ नहीं।
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Answer:
answer kya hai mujhe kya pata