Sociology, asked by suresh20001, 9 months ago

किस तरह से एक बाजार जैसे कि एक साप्ताहिक ग्रामीण बाजार, एक सामाजिक संस्था है?

Answers

Answered by deepaliguptab1
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साप्ताहिक बाजार एक सामाजिक संस्था के रूप में

साप्ताहिक बाजार एक सामाजिक संस्था के रूप में , जनजातीय स्थानीय अर्थव्यवस्था और बाहरी वातावरण के बीच की कड़ी है |  साप्ताहिक बाजार आस-पास के गॉव को लोगों को एकत्रित करता है जो अपनी खेत की उपज  को बेचने आते हैं |  

ग्रामीण भारत में एक तय अंतराल पर विशेष बाजार भी लगते है , जिसका एक आवधिक उदहारण है  पशु मेला | उदहारण के लिए - राजस्थान में पुष्कर मेला  

साप्ताहिक हाट , ग्रामीण एवं नगरीय भारत में भी एक आम नज़ारा होता है | जो कि पहाड़ी और जंगली इलाकों में होता है यहाँ साप्ताहिक बाजार उत्पादों के आदान-प्रदान के साथ-साथ सामाजिक मेल-मिलाप की एक प्रमुख संस्था बन जाता है | पर अधिकांश लोगो का हाट बाजार जाने का एक प्रमुख कारण सामाजिक है , जहाँ वह अपने रिश्तेदार के साथ भेंट कर  हैं , लड़के-लड़िकियों का विवाह तय कर सकता है |  

एल्फ्रेड जेल (1982) जैसे मानवविज्ञानी जिन्होंने धोराई का अध्ययन किया , इनके अनुसार बाजार का महत्व सिर्फ इसकी आर्थिक क्रियाओं सीमित नहीं , बल्कि बाजार की रूपरेखा  सम्बन्धो का प्रतीकात्मक चित्रण करती है |

खरीदी और बेचीं जाने वाली वस्तुओं के प्रकार से और मोल भाव से सामाजिक सम्बन्धो का पता चलता है |

Know More

Q.1.- ग्रामीण सांप्ताहिक बाजार क्यों उपयोगी है ? लिखें ।

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Q.2.- निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाजार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट कीजिए।

बाजार बेची जाने वाली वस्तुओं का मूल्य विक्रेता ग्राहक

वस्तुओं के प्रकार

साप्ताहिक बाजार

शॉपिंग कॉम्प्लेक्स

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