Social Sciences, asked by sahibakhms20110343, 16 days ago

किसी दल को राष्ट्रीय प्रांतीय मारने का आधार क्या है​

Answers

Answered by archanarai68100
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Explanation:

-विस्तार की चुनौती-

जिन देशों में लोकतंत्र वर्षों से मौजूद है वहाँ लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती है। लोकतंत्र के विस्तार का मतलब होता है कि देश के हर क्षेत्र में लोकतांत्रिक सरकार के मूलभूत सिद्धांतो को लागू करना तथा लोकतंत्र के प्रभाव को समाज के हर वर्ग और देश की हर संस्था तक पहुँचाना।

लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती के कई उदाहरण हो सकते हैं, जैसे कि स्थानीय स्वशाषी निकायों को अधिक शक्ति प्रदान करना, संघ के हर इकाई को संघवाद के प्रभाव में लाना, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा से जोड़ना, आदि।लोकतंत्र के विस्तार का एक और मतलब यह है कि ऐसे फैसलों कि संख्या कम से कम हो जिन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया से परे हटकर लेना पड़े।

आज भी हमारे देश में समाज में कई ऐसे वर्ग हैं जो मुख्यधारा से पूरी तरह से जुड़ नहीं पाये हैं। आज भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो भारत राष्ट्र की मुख्यधारा से कटे हुए हैं। ये सभी चुनौतियाँ लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती के उदाहरण हैं।

राजनीतिक दलों के समक्ष विभिन्न चुनौतियां-

राजनीतिक दलों के समक्ष विभिन्न चुनौतियां-

2-लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करना-

हर लोकतंत्र को इस चुनौती का सामना करना पड़ता है। लोकतंत्र की प्रक्रियाओं और संस्थानों को मजबूत करने से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं। लोकतंत्र की प्रक्रियाओं और संस्थानों को मजबूत करने से लोगों को लोकतंत्र से अपनी अपेक्षाओं के बारे में सही जानकारी मिल सकती है।

जन साधारण की लोकतंत्र से अपेक्षाएँ अलग-अलग समाज में अलग-अलग तरह की होती हैं।अस्सी के दशक तक भारत में होने वाले चुनावों में बूथ लूटने और फर्जी मतदान की घटना आम बात हुआ करती थी। नब्बे के दशक की शुरुआत में टी एन शेषण मुख्य चुनाव आयुक्त बने।

उन्होंने कई ऐसे क्रांतिकारी कदम उठाए जिनसे राजनितिक दलों में अनुशासन आया और बूथ लूटने की घटनाएँ नगण्य हो गईं। इससे चुनाव आयोग को काफी मजबूती मिली और इसपर लोगों का विश्वास बढ़ गया।अलग-अलग देश लोकतंत्र की अलग-अलग चुनौतियों का सामना करते हैं।

किसी भी देश के समक्ष आने वाली एक खास चुनौती इस बात पर निर्भर करती है कि वह देश लोकतांत्रिक विकास के किस चरण पर है। किसी खास चुनौती से निबटने के तरीके भी अलग-अलग परिस्थितियों में भिन्न हो सकते हैं।

1-महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर-

प्रश्न 1:लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?

उत्तर: एक लोकतांत्रिक सरकार जनता के लिए जवाबदेह होती है। यदि कोई सरकार जनता की उम्मीदों के हिसाब से काम नहीं करती है तो अगले चुनाव में जनता उसे हटा देती है। इसलिए एक लोकतांत्रिक सरकार को जनता के लिए उत्तरदायी होना पड़ता है। ऐसी सरकार को बहुमत से चुना जाता है इसलिए यह एक वैध सरकार होती है।

प्रश्न 2:लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है?

उत्तर: विविधता के कारण टकराव को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता। लेकिन लोकतंत्र में ऐसे टकराव को न्यूनतम स्तर पर रखना संभव हो पाता है। लोकतंत्र में आम राय से बात आगे बढ़ती है और इस तरह से समाज के विभिन्न समूहों की आकांछाओं का सम्मान किया जाता है। यह दर्शाता है कि लोकतंत्र कि तरह से सामाजिक विविधताओं को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है।

प्रश्न 3:निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें:औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।

उत्तर: कई तानाशाह देशों के उदाहरण से पता चलता है कि ऐसी शासन व्यवस्था में आर्थिक विकास ठीक से होता है लेकिन कुछ ऐसे लोकतांत्रिक देश भी हैं जहाँ की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है। कई गरीब देशों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हुए भी तरक्की की है; हाँ उनकी वृद्धि की दर थोड़ी धीमी जरूर है। यदि हम लाभ और हानि की तुलना करें तो कह सकते हैं केवल धनी बनने की आकांछा से तानाशाह को अपनाना सही विकल्प नहीं हो सकता है।

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