(क) 'सपनों के - से दिन' पाठ में पी. टी. साहब द्वारा विद्यार्थियों को अनुशासित करने की युक्तियाँ, वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के अनुसार कहाँ तक उचित हैं? उसमें निहित जीवन - मूल्यों पर अपने तर्कपूर्ण विचार प्रस्तुत कीजिए I
(ख) अपने ही परिवार में टोपी शुक्ला की स्थिति अजनबी जैसी थी I प्रमाणित करें I
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(क)
“सपनों के से दिन” पाठ में पीटी साहब द्वारा विद्यार्थियों को अनुशासित करने की युक्तियां आज के समय में स्वीकृत मान्यताओं के अनुसार बिल्कुल भी उचित नहीं है। आजकल की मान्यता के अनुसार विद्यार्थियों को शारीरिक यातना देकर नहीं सुधारा जा सकता बल्कि उन्हें प्रेम एवं स्नेह से अनुशासित किया जा सकता है। विद्यार्थियों से अगर सही तरीके से बात की जाए तो वे आसानी से कोई बात सीख सकते हैं। शारीरिक यातना से कोई बात न तो वे सीख सकते हैं ना ही वह बात उनके दिमाग में बैठती है। शारीरिक यातना के भय से विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति सहज रुचि नहीं जागती। प्रेम एवं स्नेह से पढ़ाई के प्रति रुचि जगती है। पूर्व समय के विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों की अमानवीय तरीके से पिटाई चल जाती थी लेकिन आजकल के विद्यालयों में ऐसा नहीं होता। आजकल शिक्षक विद्यार्थियों को शारीरिक यातना नहीं दे सकते। इसलिए पीटी सर द्वारा विद्यार्थियों को अनुशासित करने की युक्तियां आजकल के समय में अनुचित हैं।
(ख)
‘टोपी शुक्ला’ पाठ में टोपी शुक्ला के साथ उसके परिवार के लोग अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। उसके परिवार के लोग बात-बात में उसे डांटते-फटकारते रहते थे। खासकर टोपी शुक्ला की दादी टोपी शुक्ला के प्रति बहुत ही कठोर और रुखा व्यवहार करती थी। वह हर समय टोपी शुक्ला को डांटती फटकारती रहती थी। जब टोपी शुक्ला की दादी को पता चला कि टोपी एक मुसलमान बच्चे के साथ दोस्ती कर रहा है, तो टोपी शुक्ला की दादी ने हंगामा कर दिया। टोपी शुक्ला की दादी अगर चाहती तो टोपी को प्रेम एवं स्नेह से समझा सकती थी, लेकिन उसने प्रेम एवं स्नेह से समझाने की बजाय उसके प्रति दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। टोपी के परिवार के अन्य सदस्यों का व्यवहार भी उसके प्रति ठीक नहीं था। इसलिए टोपी का मन अपने परिवार में नहीं लगता था। उसका भाई भी अक्सर खुद गलत कार्य करके उसका आरोप अपने छोटे भाई टोपी शुक्ला पर मढ़ देता था। टोपी शुक्ला को अपना पारिवारिक वातावरण दमघोंटू लगता था। ऐसा लगता था। इस कारण वह बार-बार के इफ्फन के घर आया-जाया करता था जहाँ उसकी दादी उसके साथ प्रेम एवं आत्मीयता का व्यवहार करती थी।