काशी को कपाल मोचन क्यों कहते हैं
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स्कंद महापुराण के अनुसार कलयुग के प्रभाव से ब्रह्मा अपनी पुत्री सरस्वती के प्रति मन में बुरे विचार रखने लगे। इससे बचने के लिए सरस्वती ने द्वैतवन में भगवान शंकर से शरण मांगी। सरस्वती की रक्षा के लिए भगवान शंकर ने ब्रह्मा का सिर काट दिया, जिससे उन्हें ब्रह्मा हत्या का पाप लगा। इससे शंकर भगवान के हाथ में ब्रह्मा कपाली का निशान बन गया। सब तीर्थों में स्नान और दान करने के बाद भी वह ब्रह्मा कपाली का चिन्ह दूर नहीं हुआ। घूमते-घूमते भोलेनाथ पार्वती सहित सोमसर (कपाल मोचन) तालाब के निकट देव शर्मा नामक एक ब्राह्माण के घर ठहरे।
किवदंती के अनुसार रात के समय ब्राह्माण देव शर्मा के आश्रम में गाय का बछड़ा गौ माता से बात कर रहा था कि सुबह ब्राह्माण उसे बधिया करेगा। इससे क्रोधित बछड़े ने कहा कि वह ब्राह्माण की हत्या कर देगा। इस पर गौ माता ने बछड़े को ऐसा करने से मना कर दिया, क्योंकि बछड़े को ब्रह्मा हत्या का पाप लग जाता। इस पर बछड़े ने गौ माता को ब्रह्मा हत्या दोष से छुटकारा पाने का उपाय बताया। दोष मुक्त होने के उपाय मां पार्वती ने भी सुने।
दूसरे ही दिन सुबह होने पर ब्राह्माण ने बछड़े को बधिया करने का कार्य शुरू किया और बछड़े ने ब्राह्माण की हत्या कर दी, जिससे उसे ब्रह्मा हत्या का पाप लग गया। बछड़े और गाय का रंग काला हो गया। इससे गौ माता बहुत दुखी हुई। इस पर बछड़े ने गौ माता को अपने पीछे आने को कहा और दोनों सोमसर तालाब में स्नान किया, जिससे उनका रंग पुन: सफेद हो गया। इस प्रकार वे ब्रह्म दोष से मुक्त हो गए। इस सारे दृश्य को देखने के बाद मां पार्वती के कहने पर भगवान शंकर ने सरोवर में स्नान किया। इससे उनका बह्मा कपाली दोष दूर हो गया। इसलिए सोम सरोवर के इस क्षेत्र का नाम कपाल मोचन हो गया।