काश मैं दफ़्तर का बॉस होता विषय पर अनुच्छेद लिखिए
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जब भी एक एम्प्लॉयी किसी कंपनी में जॉब करता हैए तो वह स्वयं के लिए तथा कंपनी के हित के लिए हजारों सपनों का ताना.बाना बुनता है। लेकिन ख्यालों की इस झड़ी को यह सोच कर मन में ही दबाए रखता है कि उसकी बात सार्थक है भी या नहीं या फिर जब वह बॉस या अन्य एम्प्लॉयी से अपने विचार साझा करे तो कहीं हंसी का पात्र न बन जाए। इस प्रकार कंपनी के हित की न जाने कितनी ही बातें उसके मन में दबी.कुची सी रह जाती हैं जिन्हें बाहर लाने के लिए एक सहारे मात्र की जरुरत होती है।
MAIN ASHA KARTA HUN KI IS JAWAAB KA TUMHE MADAD MILE...
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