कुशल कार्यपालिका की क्या-क्या विशेषताएं हैं
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कार्यपालिका प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी प्रशासनिक तथा नीति सम्बन्धी निर्णय लेती है। विधायिका द्वारा निर्मित कानूनों को अमली जामा पहनाने के लिए वह महत्वपूर्ण पदों पर कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्ति करती है। प्रशासन को चलाने के लिए सभी आवश्यक विभागों की स्थापना भी कार्यपालिका ही करती है।
अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के कुशल संचालन में कार्यपालिका, व्यवस्थापिका की अपेक्षा अधिक सफल रही है। इसी कारण आज सभी देशों में कार्यपालिका को विदेश नीति के सफल संचालन की स्वतन्त्रता प्राप्त है। आज अन्तर्राष्ट्रीय समझौते व सन्धियां कार्यपालिका ही करने लगी है। भारत-पाक युद्ध पर शिमला समझौते भारत के कार्यपालक ने ही किया था।
व्यवस्थापिका का अपनी शक्ति का कुछ भाग प्रदत-व्यवस्थापन के रूप में कार्यपालिका को दिया है। इस शक्ति का प्रयोग करके आज कार्यपालिका प्रभावी कानून बनाने लगी है। इससे विधायिका की शक्ति तो कम हुई है लेकिन कार्यपालिका की शक्ति बढ़ी है।
आज संचार के साधनों के विकास ने जनता को सीधे कार्यपालिका से जोड़ दिया है। इससे कार्यपालिका का जनता के प्रति उत्तरदायित्व बढ़ा है। अब कार्यपालिका जनता से आमने-सामने पेश हो रही है। कार्यपालिका की जनता के प्रति निकटता ने भी कार्यपालिका का सम्मान बढ़ाया है। आज कार्यपालिका ही राजनीतिक चेतना को बढ़ाने में जनता के साथ सहयोग करके भी व्यवस्थापिका से आगे निकल गई है।
आज संसद तो निरर्थक वाद-विवाद का केन्द्र मानी जाने लगी है। संसद की बैठकों के दौरान जो व्यवहार जनता के सामने आता है, वह सर्वविदित है। आज हमारे विधायक या सांसद असभ्य व्यवहार के पर्यायवाची बन चुके हैं। आज जनता एक व्यक्ति विशेष में ही अपनी रुचि दिखाने लगी है। जनता देश में एकता देखना चाहती है। ऐसा स्वप्न कार्यपालिका का अध्यक्ष ही पूरा कर सकता है। आज जनता को प्रधानमन्त्री तथा राष्ट्रपति के बारे में लोकप्रिय छवि उभरी है। भारत में वर्तमान कार्यपालिका में जनता का विश्वास बढ़ने का कारण प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का योग्य नेतृत्व ही है।
व्यवस्थापिकाओं में ऐसे नेतृत्व की कमी होती जा रही है।
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