केशव दस साल का था और अभी अपना काम करना सीख रहा
था । पिता के एक बार करके दिखा देने पर वह सीधी लकीरों वाले और
घुमावदार डिजाईन उकेर सकता था । अब तक उसने नक्काशी का जो
भी काम किया था उनमें से इन घंटियों का बनाना ही सबसे ज्यादा
मुश्किल था | केशव जानता था कि एक दिन जरूर आयेगा जब बारीक
जालियाँ , कमल के फूल ये सब पत्थर पर उकेर पाएगा।
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कमल के फूल ये सब पत्थर पर उकेर पाएगा।
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