Social Sciences, asked by bireshuike, 5 months ago

कृषि किसे कहते हैं? कृषि को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।​

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Answered by payalgpawar15
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Answer:

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतूजानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है।

कृषि को प्रभावित करने वाले कारकों :

जलवायु– जलवायु कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पौधों को उनके विकास के लिए पर्याप्त गर्म तथा नम जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधे के अानुवंशिक गुण भी जलवायु से प्रभावित होकर प्रदर्शित होते हैं |

तापमान – फसल उत्पादन के लिय अनुकूल तापमान की आवश्यकता होती है अनुकूल तापमान पर इन्जाइम की सक्रियता बनी रहती है जिससे रासायनिक क्रियाएँ सुगमता से उत्पन्न होती हैं ग्रीष्मकालीन फसलों की वृध्दि के लिये 25° – 40° सेण्टीग्रेट के मध्य तथा शीतकालीन फसलों की वृध्दि के लिये 6°- 25° सेण्टीग्रेट तापमान उपयुक्त रहता है | तथा उत्पादन अच्छा होता है इसके अतिरिक्त तापमान प्रतिकूल होने पर पौधों की क्रियाएँ सुचारु रूप से नही हो पाती जिससे उपज पर दुष्प्रभाव पड़ता है |

प्रकाश – पौधों की वृध्दि एवं विकास में सूर्य प्रकाश का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि प्रकाश संश्लेषण का प्रत्यक्ष सम्बन्ध सूर्य प्रकाश से है| जो पौधों की अभिवर्द्धि में सहायक है | पौधों एवं पत्तियों में क्लोरोफिल की मात्रा सूर्य प्रकाश के अनुरूप ही होती है |सूर्य प्रकाश द्वारा पौधों को भोजन की प्राप्ति होती है तथा उनका विकास होता है जिन प्रदेशों में सूर्य प्रकाश की उपलब्धता कम होती है, वहाँ फसलें अपेक्षाकृत कम मात्रा में ही उत्पन्न हो पाती है | प्रकाश के अभाव में पौधों एवं उनकी पत्तियों का रंग प्रभावित होता है तथा तिलहन का उत्पादन सम्भव नहीं है | प्रकाश के अभाव में पौधों को अनेको रोग लग जाते हैं जिससे उनका विकास अवरुद्ध हो जाता है, फलस्वरूप उत्पादन भी कम प्राप्त होता है |

प्रदीप्तकाल – पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिये व उनमें फल फूल निकलने के लिये आवश्यक है अर्थात प्रकाशकाल पौधों की वृध्दि एवं विकास दोनों को प्रभावित करता है

आर्द्रता – वातावरण में नमी की मात्रा पौधों की जलोत्सर्जन क्रिया, मृदा से वाष्पीकरण की क्रिया व वातावरण के तापमान को प्रभावित करती है | जिसका अन्तिम प्रभाव फसलों की वृध्दि पर होता है | आपेक्षिक आर्द्रता फसल के रोग एवं कीट पतंगों के फसल पर आक्रमण को भी प्रभावित करती है | आपेक्षिक आर्द्रता किसी निश्चित तापमान पर वायु को पूर्ण संतृप्त करने के लिये आवश्यक जलवाष्प की मात्रा की तुलना में वर्तमान जलवाष्प को आपेक्षिक आर्द्रता कहते हैं |

वायु – वायु की तीव्र गति फसल को नष्ट कर सकती है इसके अतिरिक्त तीव्र गति जलोत्सर्जन दर बढ़ाकर तथा मृदा से वाष्पीकरण की दर बढ़ाकर वायु फसलों की वृध्दि पर कुप्रभाव छोड़ती हैं वायु की गति वातावरण के तापमान को भी प्रभावित करती है| तीव्र गति के कारण तापमान गिरकर पौधों की वृध्दि को प्रभावित करता है |

वर्षा – फसलों के वर्धन एवं विकास के लिये जल एक आवश्यक अवयव है क्योंकि इससे मृदा में नमी बनी रहती है | यही कारण है कि विश्व के उन भागों में कृषि कार्य अधिक विकासित हुए हैं जहाँ उनकी वृध्दि के लिये आवश्यक मात्रा में जल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है | कृषि क्षेत्रों में भिन्नता भी जल का उपलब्धि से प्रभावित होती है |वर्षा की विभिन्नता के अनुरूप ही फसलों एवं पशुओं के वितरण में भिन्नता पाई जाती है | जिन प्रदेशों में कृषि कार्य के लिये पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध नहीं है, वहाँ कृत्रिम विधि द्वारा सिंचाई साधनों के माध्यम से जल की कमी को दूर कर कृषि कार्य सम्पन्न किये जाते हैं | प्रत्येक पौधे के विकास के लिये एक निश्चित मात्रा में जल की आवश्यकता होती है | पौधों को जल की प्राप्ति मृदा तथा वायुमण्डल आर्द्रता से प्राप्त होती है |फसलों के वितरण प्रारूप को वर्षा की मात्रा प्रभावित एवं निर्धारित करती है |वर्षा के द्वारा मृदा में जल की मात्रा बढ़ाई जाती है | वर्षा जल के साथ माइट्रेट, नाइट्रोजन व गन्धक आदि तत्वों का भी भूमि में उपयोग होता है | इस प्रकार पौधों की वृध्दि पर वर्षा का सीधा प्रभाव होता है |

मृदा – मृदा अभिक्रियाएँ पौधों की वृध्दि के लिये अनुकूल पारिस्थितियाँ प्रदान करती हैं| उथली एवं बारीक जड़ों वाली फसलों के लिये दोमट मक्का व ज्वार के लिये हल्की दोमट तथा धान की फसल के लिये मटियार भूमियों की आवाश्कता होती है |मृदा अम्लता का भी फसलों की बढ़वार पर प्रभाव पड़ता है | लवणीय भूमियों मे कुछ फसलें अच्छी बढ़वार करती है जैसे- धान, बरसीम, आदि तथा कुछ अम्लीय मृदाओं में वृध्दि करती हैं -जैसे राई,आदि

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