कृषि क्षेत्रक में लागू किये गये भूमि सुधार की आवश्यकता और उनके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
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कृषि क्षेत्र में लागू किये गये भूमि सुधार की आवश्यकता कृषि में समानता लाने के लिए हुई। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश की भू-धारणा पद्धति में जमींदार- जागीरदार आदि का स्वामित्व था। खेतों में बिना कोई काम किए केवल लगान वसूलते थे । भारतीय कृषि क्षेत्र की निम्न उत्पादकता के कारण भारत को यू० एस० ए० से अनाज आयात करना पड़ता था।
भूमि सुधारों के प्रकार निम्न प्रकार से है :
(1) जमींदारी उन्मूलन
(2) काश्तकारी खेती
(3) भूमि की उच्चतम सीमा निर्धारण
(4) चकबंदी इत्यादि।
बिचौलियों के उन्मूलन का नतीजा यह था कि लगभग 200 लाख किसानों का सरकार से सीधा संपर्क हो गया था तथा वे जमीदारों के द्वारा किए गए शोषण से आजाद हो गये।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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