कृष्णमूर्तिः श्रीकण्ठश्च मित्रे आस्ताम्।श्रीकण्ठस्य पिता समृद्धः आसीत्। अत: तस्य भवने
सर्वविधानि सुख-साधनानि आसन्। तस्मिन् विशाले भवने चत्वारिंशत् स्तम्भाः आसन्। तस्य
अष्टादश-प्रकोष्ठेषु पञ्चाशत् गवाक्षाः,चतुश्चत्वारिंशत् द्वाराणि, षट्त्रिंशत् विद्युत्-व्यजनानि च
आसन्। तत्र दश सेवकाः निरन्तरं कार्यं कुर्वन्तिस्म। परं कृष्णमूर्ते: माता पिता च निर्धनी
कृषकदम्पती। तस्य गृहम् आडम्बरविहीनं साधारणञ्च॥
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कृष्णमुर्ति श्रीकंठ का अच्छा मित्र था। श्री कंठ के पिता बहुत धनवान् थे। इसी वजह से उनके घर पर सभी सुख सुविधाये थी।उनके विसाल घर मर 44 खम्बे थे। और ,50 खिड़किया और 14 द्वार थे,63 खम्बे थे। 10 नौकर हमेशा रहते थे । परन्तु कृष्णमूर्ति के माता पिता निर्धन और किसान थे । इस वजह से घर कर सारे काम उन्हें ही करने पड़ते थे।
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कृष्णमुर्ति श्रीकंठ का अच्छा मित्र था। श्री कंठ के पिता बहुत धनवान् थे। इसी वजह से उनके घर पर सभी सुख सुविधाये थी। उनके विसाल घर मर 44 खम्बे थे। और,50 खिड़किया और 14 द्वार थे,63 खम्बे थे। 10 नौकर हमेशा रहते थे । परन्तु कृष्णमूर्ति के माता पिता निर्धन और किसान थे । इस वजह से घर कर सारे काम उन्हें ही करने पड़ते थे।
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