कोष्ठकेषु प्रदत्तधातुषु समुचितं पुरुषं वचनं च प्रयुज्य कानिचन् त्रीणि (3)रिक्तस्थानानि पूरयत-
क)सः क्रीड़नाय...........।(गम् लट्लकारः)
ख) अहं कविता............. |(पठ् लृट्)
ग) भ्रमणाय उद्यानं ........। (चल लोट्)
घ) अहं सदा संस्कृतेन .......... (वद् लट्)
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Explanation:
संस्कृत में तीन वचन होते हैं- एकवचन, द्विवचन तथा बहुवचन।
संख्या में एक होने पर एकवचन का, दो होने पर द्विवचन का तथा दो से अधिक होने पर बहुवचन का प्रयोग किया जाता है।
जैसे- एक वचन -- एकः बालक: क्रीडति।
द्विवचन -- द्वौ बालकौ क्रीडतः।
बहुवचन -- त्रयःबालकाः क्रीडन्ति।
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