Hindi, asked by yuvrajsolanki336, 9 months ago

क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा।
पर नर-व्याघ्र, सुयोधन तुमसे
कहो. कहाँ कब हारा? translation ​

Answers

Answered by shishir303
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➲ कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘शक्ति और क्षमा’ नामक कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने पांडवों की क्षमाशीलता और कौरवों की दुष्टता की व्याख्या की है। उन्होंने क्षमा को वीरों का आभूषण बताया है। इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है...

क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल

सबका लिया सहारा।

पर नर-व्याघ्र, सुयोधन तुमसे

कहो. कहाँ कब हारा?

भावार्थ ⦂ कवि कहते हैं कि क्षमा ही वीरों का आभूषण होती है। पांडव वीर थे, इसलिए  पांडवों ने कौरवों को उनकी गलतियों के लिए बार-बार क्षमा किया, लेकिन कौरव दुष्ट प्रवृत्ति के थे और वह छल-कपट करने से बाज नहीं आते थे। उन्होंने पांडवों द्वारा दी गई  दया, क्षमा और प्रेम की भाषा को नहीं समझा और वह अपनी कुटिल नीतियों को लागू करने तथा कुटिल आचरण करने में ही लगे रहे।

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