Hindi, asked by amitjain73y, 5 hours ago

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष-भेद, तम हर, प्रकाश भर
जगमग जग कर दे। bhaw arth

Answers

Answered by shishir303
12

काट अन्ध-उर के बन्धन-स्तर

वहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,

कलुष-भेद तम-हर, प्रकाश भर

जगमग जग कर दे!

भावार्थ : ‘वर दे वीणावादिनी वर दे’ कविता में कवि निराला कहते हैं कि हम हे माँ सरस्वती हम अज्ञानी पुरुषों का अज्ञान दूर करो और हमारे अंदर ज्ञान का स्रोत बहा दो। हमारे अंदर जितने भी पाप हैं, दोष है, अज्ञानता का अंधकार है, आप उन्हें दूर कर दो और अपने ज्ञान के प्रकाश से इस संसार को प्रकाशित कर दो।

Answered by rajraj73702
0

Answer:

संदर्भ प्रसंग व्याख्या

Similar questions