किताबे हमें भूले पूरे का
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ओशो के तर्कों के आगे बड़े-बड़े चुप हो गए या फिर दिमाग घूम गया. आम आदमी को अमेरिका में एक इंच जमीन खरीदने में पसीना आ जाए और मध्यप्रदेश के कुचवाड़ा गांव में पैदा हुआ ये दर्शनशास्त्री वहां 64 हजार एकड़ में ‘रजनीशपुरम्’ बसाकर आ गया. जब इसने एक लाइन से गोरी चमड़ी वालों को गेरुआ वस्त्र पहनाए तो अमेरिका और यूरोप के बड़े-बड़े दिग्गज दंग रह गए. उसके नाम की एक लहर चल उठी थी. लेकिन सब कुछ यूं ही नहीं हुआ. ओशो की पुण्यतिथि (19 जनवरी) पर जानते हैं उनकी दिलचस्प दास्तां.
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nahi bhul sakte he wo hame
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