कुतुबमीनार पर निबंध। Essay on Qutub Minar in hindi
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कुतुब मीनार पर निबंध
भारत में बहुत सी अद्भुत ईमारते हैं जिनमें से एक कुतुब मीनार है। कुतुब मीनार भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में महरौली भाग में स्थित है। हम यहाँ आपके बच्चों और विद्यार्थियों के लिए उनके स्कूल या कालेज में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने में मदद करने के लिए विभिन्न शब्द सीमाओं में कुछ निबंध पैराग्राफ और कुतुब मीनार पर निबंध उपलब्ध करा रहे हैं। आप इनमें से कोई भी कुतुब मीनार पर निबंध या पैराग्राफ अपनी जरूरत और आवश्यकता के अनुसार चुन सकते हैं।
कुतुब मीनार पर निबंध (Long and Short Essay on Qutub Minar in Hindi)
You can get below some essays on Qutub Minar in Hindi language for students under 100, 200, 300, 350, 400 and 600 words limit.
कुतुब मीनार पर निबंध 1 (100 शब्द)
कुतुब मीनार का निर्माण गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 12 वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ। परंतु यह मीनार उस के शासन काल में पूरी नहीं हो सकी जिसकी वजह से इस के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार का निर्माण पूरा किया था। कुतुब मीनार (जिसे कुतुब मीनार या कतब मीनार भी कहा जाता है) प्रसिद्ध भारतीय ऐतिहासिक स्मारक है, जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनारों में (पहली मीनार फतेह बुर्ज (चप्पड़ चिड़ी, मौहाली) है, 100 मीटर लम्बी) में गिनी जाती है।
कुतुब मीनार 73 मीटर लम्बी है, जो इन्डो-इस्लामिक शैली में बनाई गई है। यह यूनेस्को के द्वारा विश्व विरासत में जोड़ी गई है। यह प्रत्येक दिन सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खोली जाती है। यह महरौली, दिल्ली-गुड़गाँव सड़क पर स्थित है। इस स्मारक को देखना ही इतिहास के बारे में जानने का अच्छा तरीका है। दिल्ली बहुत से ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध शहर है।
कुतुब मीनार
कुतुब मीनार पर निबंध 2 (200 शब्द)
प्रस्तावना
कुतुब मीनार भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों में एक है। इसे कुतुब मीनार या कुतब मीनार भी लिख सकते हैं। यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनार (लगभग 73 मीटर) कही जाती है। भारत की पहली सबसे ऊँची मीनार चप्पड़ चिड़ी, मौहाली (पंजाब) में फतेह बुर्ज है। कुतुब मीनार को यूनेस्को विश्व विरासत में जोड़ा गया है।
कुतुब मीनार की संरचना
कुतुब मीनार लाल पत्थरों से बनी है। जिनमें लगाए पत्थरों पर कुरान की आयतें तथा मुहम्मद गौरी और कुतुबुद्दीन की प्रशंसा की गई है। कुतुब मीनार के आधार का व्यास 14.3 मीटर और शीर्ष का व्यास 2.7 मीटर है। इसकी 379 सीढ़ियाँ है। इसका निर्माण कुतुब-उद्दीन-ऐबक के द्वारा 1193 में शुरु हुआ था हालांकि, इसे इल्तुतमिश नामक उत्तराधिकारी के द्वारा पूरा किया गया। इसकी पाँचवीं और आखिरी मंजिल 1368 में फिराज शाह तुगलक के द्वारा बनवाई गई थी। कुतुब मीनार के परिसर के आसपास कई अन्य प्राचीन और मध्य युगीन संरचनाओं के खंडहर हैं।
निष्कर्ष
यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रसिद्ध स्मारक है जिसमें इसके पास अन्य संरचनाएं शामिल हैं। प्राचीन समय से, ऐसा माना जाता है कि जो उसके पीछे खड़े होकर हाथों से लोहे के खंभे को घेर लेता है, वह उसकी सारी इच्छाओं को पूरा करेगा। इस ऐतिहासिक और अद्वितीय स्मारक की सुंदरता देखने के लिए दुनिया के कई कोनों से पर्यटक हर साल यहां आते हैं।
कुतुब मीनार पर निबंध 3 (300 शब्द)
प्रस्तावना
कुतुब मीनार एक भारतीय ऐतिहासिक स्मारक है, जो भारत के अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण के रूप में अकेला खड़ा है। कुतुब का अर्थ न्याय का स्तम्भ है। यह भारत की राजधानी अर्थात् दिल्ली में स्थित है। कुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध टावरों में से एक बन गई है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में सूचीबद्ध की गई है। यह मुगल वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति का एक बड़ा उदाहरण है। यह एक 73 मीटर लम्बी, 13वीं सदी की स्थापित्व शैली (इंडो-इस्लामिक वास्तुकला) में लाल बलुआ पत्थर से बनी मीनार है।
कुतुब मीनार की विशेषता
इस मीनार को सबसे ऊंचे गुंबद वाली मीनार भी कहा जाता है। इस पर ज्यादातर लाल रंग के बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है। यह 12वीं और 13वीं सदी में कुतुब-उद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारियों द्वारा राजपूतों के ऊपर मुहम्मद गौरी की जीत का जश्न मनाने के लिए निर्मित की गई थी। इससे पहले, यह तुर्क-अफगान साम्राज्य और इस्लाम की सैन्य शक्ति का प्रतीक थी।
यह शंक्वाकार आकार में 14.3 मीटर के आधार व्यास और 2.7 मीटर के शीर्ष व्यास वाली सबसे ऊँची मीनारों में से एक है। इसके अंदर 379 सीढ़ियाँ और पाँच अलग मंजिलें हैं। मीनार की ऊपरी मंजिल से शहर का एक शानदार दृश्य दिखाई देता है। इसकी पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित हैं हालांकि, चौथी और पाँचवीं मंजिल का निर्माण संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों के प्रयोग से हुआ है।
निष्कर्ष
इस मीनार के नजदीक कई और इमारतों का निर्माण करवाया गया था जैसे अलाई मीनार इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा करवाया गया था माना जाता है के वह कुतुब मीनार से भी ऊँची मीनार बनाना चाहते थे किन्तु खिलजी की मौत के बाद यह काम अधूरा ही रह गया।