' कुटेज अपने मन पर सवारी करता है, मन को अपने पर सवार नही होने देता। मनस्वी मित्र , तुम धन्य हो।' इस कथन को
Answers
Answered by
32
Answer:
मन अपने वश में नहीं है वही दूसरे के मन का छंदावर्तन करता है, अपने को छिपाने के लिए मिथ्या आडंबर रचता है, दूसरों को फँसाने के लिए जाल बिछाता है। कुटज इन सब मिथ्याचारों से मुक्त है। ... कुटज अपने मन पर सवारी करता है, मन को अपने पर सवार नहीं होने देता। मनस्वी मित्र, तुम धन्य हो!
Similar questions
Math,
18 days ago
Political Science,
18 days ago
English,
1 month ago
Math,
9 months ago
Math,
9 months ago